
ट्री मैन डॉ. राजेश अग्रवाल
छतरपुर. हरियाली की चाहत में कई लोग पौधे लगाते हैं, लेकिन क्या वे वाकई उनकी उपयोगिता को समझते हैं? इस सवाल का जवाब खोजते हुए छतरपुर के महोबा रोड निवासी वृक्षमित्र डॉ. राजेश अग्रवाल ने केवल पौधों का नि:शुल्क वितरण ही नहीं किया, बल्कि अब प्रत्येक पौधा लेने वाले व्यक्ति को उसकी उपयोगिता का पाठ भी पढ़ा रहे हैं। वे एक आधार कार्ड पर 5 से 15 पौधे देने की योजना के साथ इस बात की पुष्टि करते हैं कि पौधा केवल सौंदर्य का साधन नहीं, प्राकृतिक जीवनचक्र का स्तंभ है।
साल 2015 में शुरू हुए इस अभियान ने अब एक हरित आंदोलन का रूप ले लिया है। डॉ. अग्रवाल ने अब तक 3 लाख 90 हजार से अधिक पौधे जिले और आस-पास के क्षेत्रों में नि:शुल्क वितरित किए हैं।
2015- 1600 पौधे
2016- 5000 पौधे
2017- 15000 पौधे
2018 - 25000 पौधे
2019- 34000 पौधे
2020- 44000 पौधे
2021- 61000 पौधे
2022- 64000 पौधे
2023- 66000 पौधे
2024- 74000 पौधे
डॉ. अग्रवाल के अनुसार, हर पौधा तभी जीवित रहेगा जब व्यक्ति उसकी अहमियत को समझे। इसी सोच से वे अब पौधा लेने वालों से संक्षिप्त शिक्षण सत्र में यह समझाते हैं कि पौधे वायुमंडल से सीओटू खींचकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। वर्षा को आकर्षित करने में वृक्षों की भूमिका होती है। फलदार वृक्ष छोटे किसानों की आमदनी बढ़ा सकते हैं। छायादार पौधे तापमान कम करने में मदद करते हैं। वे प्रत्येक नागरिक से वचन पत्र भी भरवाते हैं, जिसमें पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से ली जाती है।
डॉ. अग्रवाल ने यह सीमा इसलिए तय की ताकि लोग बिना सोच-समझे बड़ी संख्या में पौधे न ले जाएं और उन्हें बिना देखभाल के सूखने दें। आधार कार्ड आधारित वितरण प्रणाली से पौधों का ट्रैक रखा जाता है और हर एक नागरिक से उम्मीद की जाती है कि वह पौधे को एक जीवन के रूप में स्वीकार करे।
इनमें फलदार, छायादार, औषधीय और धार्मिक महत्व वाले पौधे शामिल हैं
फलदार- आम, अमरूद, अनार, कटहल, करौंदा, जामुन
छायादार- पीपल, बरगद, गुलमोहर, अर्जुन, नीम
औषधीय- अश्वगंधा, हर्रा, बहेरा, शमी
धार्मिक/परंपरागत- तुलसी, बेलपत्र, पारिजात
यदि कोई किसान 1500 से अधिक पौधे लेता है तो डॉ. अग्रवाल उनके लिए नि:शुल्क ट्रांसपोर्ट (वाहन) की व्यवस्था करते हैं। इस तरह वे केवल पर्यावरण ही नहीं, कृषि आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी हरित बना रहे हैं। डॉ. अग्रवाल अमेरिका में रहते थे। वर्ष 2013 में अपने बेटे की शादी के लिए भारत लौटे और छतरपुर की बढ़ती गर्मी से चिंतित होकर हरियाली की दिशा में कुछ करने का निर्णय लिया। 2015 में अभियान की शुरुआत हुई, जो आज एक सामाजिक चेतना में बदल चुका है।
डॉ. राजेश अग्रवाल का प्रयास एक नई सोच को जन्म देता है हर पौधे के साथ उसका पाठ भी जरूरी है। जब व्यक्ति पौधे को केवल उपहार नहीं, एक जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार करता है, तभी हरियाली स्थायी बनती है। हर पौधा एक उम्मीद है, और हर उम्मीद को जीवन देने के लिए समझ जरूरी है। यदि आप भी इस हरियाली के आंदोलन का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो अपने आधार कार्ड के साथ संपर्क करें और 5-15 पौधे लेकर हरियाली की इस क्रांति में सहभागी बनें।
Published on:
18 Jun 2025 10:25 am
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