
Government guarantees employment Students said
धर्मेंद्र सिंह
छतरपुर। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कैंपस में दोपहर 2 बजे 6 छात्र मैदान में इकठ्ठे थें। सिलेबस को लेकर उनके बीच कुछ चर्चा चल रही हैं। कोर्स पूरा होने के बाद एक्सट्रा में कौन-कौन सी किताब बढऩी चाहिए, उसको लेकर भी सभी अपनी-अपनी राय दे रहे हैं। पहली बार वोट देने जा रहे इन युवाओं की चर्चा में पत्रिका रिपोर्टर भी शामिल हो जाता है। पहली बार वोट देने वाले युवा से पूछा, कैसी सरकार चाहते हैं? सवाल सुनते ही युवाओं में शामिल सचिन परमार सबसे पहले कहते हैं, कि सरकार ऐसी बननी चाहिए जो युवाओं को पढ़ाई पूरी होते ही रोजगार या स्वरोजगार की गारंटी दे, रोजगार पाने का सबको हक मिले। सचिन आगे कहते हैं कि हमारे कई सीनियर हैं जो आज भी बेरोजगार है, रोजगार नहीं मिलने से जिंदगी बेपटरी है, घर हो या समाज कहीं भी इज्जत तक नहीं मिलती। जिंदगी के आधे समय मेहनत से पढ़ाई करने के बाद भी बेरोजगारी एक कलंक की तरह है। सरकार ऐसी बने जो युवाओं की बेपटरी जिंदगी को न केवल राह दिखाए वल्कि सही मायने में उनकी जिंदगी सुधारने का प्रयास करे। सबको रोजगार तो मिल नहीं सकता, ऐसे में रोजगार नहीं तो स्वरोजगार मिले। अभी तो हालात ऐसे हैं कि तमाम योजनाएं स्वरोजगार के लिए बनाई गई हैं, लेकिन प्रेक्टिकल में ये योजनाएं और उनका साकार होना संभव नहीं हा पा रहा है।
सचिन की बात पूरी होते ही विकास पाठक बोलते हैं, सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। जगह-जगह काम चल रहा है, विकास और रफ्तार के लिए ये जरूरी भी है, लेकिन जितने वर्षो तक काम होता है, उतने समय तक लोग परेशान हो जाते हैं। विकास कार्यो को कराते समय जनता की तकलीफ और निर्माण कार्य के नियमों का पालन किया जाना जरूरी है। विकास कार्य होने से राहत मिलती है, लेकिन निर्माण के दौरान का समय एक आफत की तरह गुजरता है। विकास को बीच में टोकते हुए अक्षय सिंह कहते हैं ,विकास कार्य होना जरूरी है लेकिन इस तरह से नहीं कि जो काम कुछ दिनों में हो सकता है उसे वर्षो तक लटकाए रखा जाए। छतरपुर शहर के चारों ओर रिंग रोड का प्रस्ताव बना और पास भी हुआ। फिर काम शुरू किया गया लेकिन काम की रफ्तार ऐसी है कि दो बार सरकार का कार्यकाल पूरा हो जाएगा पर बाइपास का काम पूरा होना मुश्किल दिख रहा है। इसी बीच विकास ने कहा कि शहर के चौड़ीकरण का काम ही देख लीजिए, डेढ़ साल से बिजली के खंभे सड़क पर खड़े हैं। दोनों की बात को बीच में काटते हुए अनिकेत सोनी कहते है, सरकार ऐसी बने दो लोगों की समस्याओं का ध्यान रखे। शहर में पेयजल की समस्या है उस पर काम भी किया जा रहा है लेकिन लापरवाही कुछ इस तरह कि है कि आरसीसी रोड काटकर पाइप लाइन बिछा दिए गए,फिर आरसीसी रोड को बैसे ही छोड़ दिया गया, अच्छी खासी सड़क बर्बाद कर दी। एक से डेढ़ साल हो गए पानी सप्लाई तो चालू हुई नहीं, सड़के और खराब कर दी। सरकार ऐसे लोगों की बननी चाहिए जो ऐसी समस्याओं को नजरअंदाज न करें।
इनकी बात पूरी होते ही रोहित यादव कहते हैं, विश्वविद्यालय के काम का ही ले लीजिए, निर्माण का प्रस्ताव एक साल से बजट के लिए अटका पड़ा है, विश्वविद्यालय महाराजा कॉलेज के कैंपस में चल रहा है। जबकि इस विश्वविदद्यालय से छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह, सागर के कॉलेजों का संचालन होना है। सरकार ऐसी बने जो,कम से कम शिक्षा जैसे मुद्दे पर तत्परता से काम करे। काम तो होगा ही लेकिन इतनी लेटलतीफी भी ठीक नहीं कि,एक पीढ़ी पढ़कर निकल जाए और विश्वविद्यालय भवन ही बनकर तैयार न हो पाए। सबसे अंत में आकाश पटेल बोलते हैं,सरकार किसी भी दल की हो, हमारे जनप्रतिनिधि ऐसे होने चाहिए जिन्हें लोगों से सरोकार हो। जो स्थानीय समस्याओं के समाधान पर फोकस करते हों, मेरे जैसे युवा पहला वोट उसी उम्मीदवार को देंगे जिससे हमें विकास,समस्या का समाधान की उम्मीद हो।
Published on:
12 Oct 2018 12:33 pm
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