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खुद के व्यक्तित्व से साक्षात्कार कराने वाला गुरु है, जो हमें तराशकर मूल्यावन बनाता: पद्मश्री नलिनी

कलावार्ता में कथक नृत्यांगना नलिनी कमलिनी ने कला विद्यार्थियों को सुनाए अनुभव, मागर्दशन भी दिया

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कलावार्ता को संबोधित करते हुए

कलावार्ता को संबोधित करते हुए


छतरपुर. जीवन में गुरु का बहुत महत्व है। गुरु वह है जो शिष्य की उसके अंदर की ऊर्जा के इस्तेमाल का तौर तरीका बताता है। इतना ही नहीं गुरु ही है जो हमें खुद के व्यक्तित्व से साक्षात्कार करने में मदद करता है। ये बातें प्रख्यात कथक नृत्यांगना पद्मश्री नलिनी कमलिनी ने खजुराहो नृत्य समारोह के अंतर्गत आयोजित संवाद और विमर्श के कार्यक्रम कलावार्ता में कला रसिकों और विद्यार्थियों से मुखातिब होते हुए कहीं।

गुरु का विश्वास बनें

कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रख्यात कला समीक्षक विनय उपाध्याय के सवालों के साथ विद्यार्थियों के तमाम सवालों को समाहित करते हुए दोनों कथक बहनों ने बातचीत करते हुए गुरु शिष्य के रिश्ते कलाकार की जिंदगी उसके संघर्ष और उसकी इच्छाएं अपेक्षाएं ऐसे तमाम विषयों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि आप गुरु का विश्वास बने, न की शिष्य। उन्होंने कहा की गुरु एक तरह से भगवान का रूप है। वह हमे तराशकर मूल्यवान बना देता है। यदि आप गुरु के विश्वास पात्र बन गए तो यकीन मानिए की गुरु आपके उपर गायन का खजाना उड़ेल देंगे।

भारतीय संस्कृति में निरंतरता

भारतीय संस्कृति की बात करते हुए उन्होंने कहा की भारतीय संस्कृति की जड़ें बहुत मजबूत हैं। क्योंकि इसमें निरंतरता है। हमारी कलाएं इस संस्कृति का हिस्सा हैं। कलाएं अभिव्यक्ति का सबसे श्रेष्ठ माध्यम होती हैं। उन्होंने कहा की एक कलाकार का दर्जा ऊंचा इसलिए होता है कि वह कला के जरिए आपको आनंदित करता है। विद्या बाहर से अंदर आती है और कला अंदर से बाहर ताकि सब उसका आनंद ले सकें। कला के क्षेत्र में काम करने वालों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा हमें अपने देश, अपने गुरु और परिवार की मर्यादा का हमेशा खयाल रखना चाहिए। यदि आप ईमानदारी से ऐसा करते हैं तो यकीन मानिए कि आप तररकी करते जाएंंगे। शुरू में उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवम कला अकादमी के निदेशक जयंत माधव भिसे ने पुष्पगुच्छ से नलिनी कमलिनी का स्वागत किया।