तालाबों की स्थिति पर शर्मिंदगी
छतरपुर के ग्वालमगरा तालाब का हाल तो और भी बुरा हो गया है। यहाँ के घाट कचरे का ढेर बने हुए हैं और तालाब का पानी जलकुंभी से ढका हुआ है। इस तालाब की गंदगी इतनी बढ़ गई है कि यह अब खेत जैसा दिखाई देता है। वहीँ, संकट मोचन तालाब और किशोर सागर की हालत भी उससे अलग नहीं है। इन दोनों तालाबों में जलकुंभी और गंदगी का साम्राज्य है। जब तक यह तालाब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे थे, नगर पालिका ने एक योजना बनाई थी, लेकिन वह कागजों में ही सिमट कर रह गई है।
सीवर लाइन की हो रही अनदेखी
सभी सात तालाबों की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि इनमें से ज्यादातर तालाबों के आसपास स्थित घरों के सेप्टिक टैंक इन तालाबों में सीधे जुड़े हुए हैं। इसका परिणाम यह है कि शहर के तालाबों में गंदगी का सैलाब उमड़ रहा है। इसी के कारण, तालाबों का पानी न केवल गंदा हो गया है, बल्कि वह स्वास्थ्य के लिए भी खतरे का कारण बन चुका है। साथ ही, पिछले स्वच्छता सर्वेक्षण में छतरपुर की रैंकिंग गिरने के बाद भी नगर पालिका ने इस पर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं।
स्वच्छता सर्वेक्षण में गिरावट
पिछले स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर की रैंकिंग 71 से गिरकर 89 पर आ गई थी, और इसका मुख्य कारण तालाबों की साफ-सफाई की अनदेखी थी। साथ ही, ड्रेनेज सिस्टम की अनदेखी भी एक प्रमुख कारण था। इन दोनों समस्याओं का समाधान तो दूर, इन पर किसी प्रकार का कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसके अलावा, नगर पालिका द्वारा तालाबों के सौंदर्यीकरण की जो योजना बनाई गई थी, वह भी अब तक सिर्फ कागजों तक ही सीमित रही है।
प्रोजेक्ट का कागजी हौसला
अमृत परियोजना के तहत दो तालाबों के संवारने के दावे किए गए थे, जिनमें विंध्यवासिनी तालैया और संकट मोचन तालाब शामिल थे। इन दोनों तालाबों को संवारने के लिए 6 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया था। इसके अलावा, तालाबों की सफाई के लिए वीड हार्वेस्टिंग मशीन खरीदने की योजना भी बनाई गई थी, लेकिन नगर पालिका ने इस योजना से हाथ खींच लिया, और इस प्रकार तालाबों की स्थिति और खराब होती चली गई।
तालाबों का सौंदर्यीकरण और सफाई की कार्ययोजना
नगर पालिका की सीएमओ माधुरी शर्मा ने कहा हम तालाबों की सफाई के लिए कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं। इसके अंतर्गत ग्वालमगरा, संकट मोचन, और किशोर सागर तालाबों की साफ-सफाई की जाएगी। इसके साथ ही, सीवर लाइन प्रोजेक्ट के तहत विंध्यवासिनी तालैया और संकट मोचन तालाब का जीर्णोद्धार किया जाएगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर तालाबों की सफाई और सौंदर्यीकरण के लिए इन योजनाओं को पहले ही कागजों में तैयार किया जा चुका था, तो अब तक इन्हें लागू क्यों नहीं किया गया? और यदि नगर पालिका इन योजनाओं को लागू करने में सक्षम नहीं हो पा रही है, तो क्या यह शहर अपनी जल धरोहरों को बचा सकेगा?
तालाबों की दुर्दशा पर उठ रहे सवाल
छतरपुर शहर में सात प्रमुख तालाब हैं, जिनमें प्रताप सागर, किशोर सागर, संकट मोचन, राव सागर, सांतरी तलैया, ग्वालमगरा, रानी तलैया और विंध्यवासिनी तालैया शामिल हैं। इन तालाबों की सफाई और रखरखाव के लिए नगर पालिका के पास बजट और योजनाएं थीं, लेकिन तालाबों की स्थिति जस की तस बनी हुई है। यह सवाल अब उठने लगा है कि क्या हमारी आने वाली पीढिय़ां इन तालाबों को केवल इतिहास की किताबों में ही पढ़ पाएंगी?
पत्रिका व्यू
अगर समय रहते इन तालाबों की सफाई और संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया, तो हम अपनी इस धरोहर को खो सकते हैं। यह शहर हमारे पूर्वजों की मेहनत का परिणाम था, जिसे अब हमने गंदगी और प्रदूषण में डुबो दिया है। अब समय आ गया है कि हम सभी मिलकर इस समस्या का हल निकाले और इन तालाबों को फिर से उनकी पहले वाली अवस्था में बहाल करें, ताकि यह जल धरोहर हमारे आने वाले समय में भी सुरक्षित रहे।