किसी भी निर्माण का नक्शा स्वीकृत कराने पर नगर पालिका को औसतन हजार वर्गफीट के मकान में बतौर शुल्क मिलते हैं। आउटर की कॉलोनियों या अविकसित क्षेत्रों में निर्माण होने पर विकास शुल्क के साथ नक्शे की स्वीकृति देने पर नगर पालिका को राजस्व मिलता है। इस दौरान निर्माण के दौरान सुरक्षा के मापदंडों का पालन किया जा रहा है या नहीं, इसकी जांच इंजीनियरों के माध्यम से कराई जाती है। इस प्रक्रिया में कई तरह की दिक्कतें और पेचीदीगियां होने की वजह से लोग बगैर नक्शा स्वीकृत कराए या फिर नक्शा स्वीकृत कराने की खानापूर्ति कर निर्माण करते हैं।
इससे एक ओर नगर पालिका को जहां राजस्व का नुकसान होता है और दूसरी ओर सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठते हैं। चूंकि नगर पालिका को सूचना ही नहीं रहती कि कहां निर्माण चल रहा है इसलिए वहां सुरक्षा के मापदंडों की जांच ही नहीं की जाती। नगर पालिका ने पिछले करीब एक साल से अवैध निर्माण के खिलाफ किसी तरह की कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है।
की जा रही नियमों की अनदेखी पक्के आवास का सपना हर किसी का होता है। ऊपर से यदि घर शहरी क्षेत्र में बन जाए तो फिर क्या कहना। लेकिन नियमों को ताख पर रखकर घर बनवाना उचित नहीं। बावजूद इसके शहरी क्षेत्र में बीते कई वर्षो से लोग कायदों की अनदेखी कर रहे। आलम ये है कि शहर के नए इलाके के साथ ही पुराने क्षेत्र में भी बिना नक्सा पास कराए ही कार्य कराए जा रहे हैं। वहीं नगर पालिका में मात्र २-३ दर्जन मकान निर्माण कराने की ही अनुमति ली जा रही है।
नाले व सड़क का अतिक्रमण एक तरफ सड़क पर ही रेत, गिट्टी, ईंट आदि से रास्ता अवरुद्ध कर इन मकानों व दुकानों का निर्माण कराया जाता है। तो दूसरी तरफ शहरी जमीन के आसमान छूते भाव के कारण निर्माण कार्य के दौरान नाला के ऊपर सीढ़ी, खिड़की व छज्जा को मुख्य सड़क पर ही बना लेना आम बात है। जिसमें नगर पालिका के कर्मियों की भी मौन सहमति होती है। यह कार्य निरंतर चल रहा है। यह लोगों के नजर में तब आती है, जब इससे समस्या खड़ी होती है।
नगर में भवन निर्माण का यह है नियम नगर पालिका क्षेत्र में कोई भी मकान या व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाने से पहले नगर पालिका से आदेश लेना जरूरी होता है। उसके बाद नपा की तरफ से प्रतिनियुक्त आर्किटेक्ट स्थल का निरीक्षण करते हैं। भू-स्वामी को निर्धारित फीस जमा करनी होती है। जिसके बाद जमीन के हिसाब से नक्शा बनाकर दिया जाता है। इसके बाद ही मकान बनाया जा सकता है। इनको नहीं मानने पर दंड का प्रावधान है। जिसमें शुल्क के रूप में राशि की वसूली के साथ ही मकान के निर्माण को रोका जा सकता है। नगर पालिका की तरफ से अवैध निर्माण को तोड़ा भी जा सकता है। पर अभी शहर के सभी ४० वार्डो में से कोई ही ऐसा वार्ड होगा, जहां अवैध ढंग से ऐसे निर्माण कार्य नहीं कराए जा रहे हैं।