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नई बनी सडक़ों की परतें उखडऩे लगीं, घटिया निर्माण की खुली पोल, नगर पालिका की अनदेखी, ठेकेदारों की मनमानी

हाल ही में वार्ड 23 और वार्ड 27 में लाखों रुपए की लागत से बनी सीसी सडक़ों की ऊपरी परतें महज चार से छह महीने में ही उखडऩे लगी हैं। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि निर्माण कार्यों में न केवल घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया, बल्कि शासकीय राशि का दुरुपयोग भी हुआ है।

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सडक़ में नजर आ रही गिट्टी

छतरपुर. शहर के विभिन्न वार्डों में नगर पालिका द्वारा बनाई गई नई सीसी सडक़ों की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हाल ही में वार्ड 23 और वार्ड 27 में लाखों रुपए की लागत से बनी सीसी सडक़ों की ऊपरी परतें महज चार से छह महीने में ही उखडऩे लगी हैं। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि निर्माण कार्यों में न केवल घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया, बल्कि शासकीय राशि का दुरुपयोग भी हुआ है। स्थानीय नागरिकों की शिकायतों के बाद मामला तूल पकड़ रहा है, लेकिन तब तक ठेकेदार अपना भुगतान लेकर निर्माण स्थल से गायब हो चुके हैं।

वार्ड 27: निर्माण के एक माह बाद ही सडक़ उखड़ी

वार्ड 27 के शुक्लाना मोहल्ला स्थित महावीर स्कूल की गली में एक माह पहले ओपी कंस्ट्रक्शन के ठेकेदार द्वारा सीसी सडक़ का निर्माण कराया गया था। परंतु कुछ ही दिनों बाद इस सडक़ की ऊपरी परत उखडऩे लगी और जगह-जगह बड़ी-बड़ी गिट्टियां निकल आईं। इसी मोहल्ले में नौगरिया के घर से राम गुप्ता के घर तक बनी एक और सडक़ का निर्माण जनवरी 2025 में कराया गया था, जिसकी हालत भी अब बिगडऩे लगी है। इन दोनों सडक़ों पर लगभग 25 लाख रुपए की लागत आई थी, लेकिन गुणवत्ता की अनदेखी और लापरवाही के कारण ये सडक़ें जल्द ही जर्जर हो गईं।

वार्ड 23: चौबे कॉलोनी की सडक़ भी हुई क्षतिग्रस्त

वार्ड 23 के चौबे कॉलोनी स्थित मरिया माता स्कूल के पास बागेश्वर कंस्ट्रक्शन द्वारा बनाई गई सीसी सडक़ भी जल्द ही टूटने लगी है। क्षेत्रवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग के बाद सडक़ का निर्माण कराया गया था, लेकिन निर्माण बारिश के दौरान कराया गया, जिससे उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ा। सडक़ बने अभी केवल आठ माह ही बीते हैं, लेकिन गिट्टी बाहर आने लगी है और बरसात शुरू होते ही सडक़ की हालत और खराब होने की आशंका है।

सडक़ निर्माण में अनियमितताएं, अधिकारी भी लापरवाह


इन सभी मामलों में एक समानता है। घटिया सामग्री का इस्तेमाल और निर्माण के समय पर्यवेक्षण की कमी। बताया जा रहा है कि सीमेंट और बालू की पर्याप्त मात्रा न होने के कारण सडक़ें भारी वाहनों और पानी के दबाव को सहन नहीं कर पाईं। वहीं संबंधित उपयंत्रियों द्वारा निर्माण कार्य का कोई स्थलीय निरीक्षण नहीं किया गया। स्थानीय नागरिकों की शिकायतों के बाद ही उच्च अधिकारियों को जानकारी मिलती है, लेकिन तब तक ठेकेदार अपने भुगतान प्राप्त कर चुके होते हैं।

नगर पालिका ने कार्रवाई का दिया आश्वासन


इस पूरे मामले पर छतरपुर नगर पालिका की सीएमओ माधुरी शर्मा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, शुक्लाना मोहल्ला और चौबे कॉलोनी में बनी नई सडक़ों के खराब होने की जानकारी मिली है। संबंधित ठेकेदार द्वारा कराए गए निर्माण कार्य की जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

स्थानीय जनता में आक्रोश, पारदर्शिता की मांग


लगातार हो रही इस तरह की घटनाओं से शहरवासियों में नाराजगी है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि करोड़ों की राशि से बनाई जा रही सडक़ें कुछ ही महीनों में खराब हो जाती हैं, तो इसका सीधा अर्थ यही है कि निर्माण में अनियमितताएं हो रही हैं और जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत भी हो सकती है।

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शहर में विकास के नाम पर हर वर्ष करोड़ों की योजनाएं बनाई जाती हैं, लेकिन यदि उनकी गुणवत्ता की जांच और निगरानी नहीं की जाएगी, तो इसका लाभ न जनता को मिलेगा, न शासन को। आवश्यकता है कि नगर पालिका अपने निर्माण कार्यों की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए और दोषी ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट कर सख्त कार्रवाई करे।


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