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जिले में 32 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार, 3 हजार से ज्यादा बच्चे अतिकुपोषित

एक साल में खर्च किए 7 करोड़ रुपए, फिर भी जिले में कुपोषण 19 से बढ़कर हो गया 22 प्रतिशत- 10 हजार से ज्यादा बच्चों का नहीं हो सका परीक्षण

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जिले में 32 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार, 3 हजार से ज्यादा बच्चे अतिकुपोषित

जिले में 32 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार, 3 हजार से ज्यादा बच्चे अतिकुपोषित

उन्नत पचौरी
छतरपुर। सरकार और प्रशासन के लाख प्रयासों के बावजूद जिले पर कुपोषण का कलंक मिटने का नाम नहीं ले रहा है। महिला बाल विकास विभाग के सामने आए आंकड़े ने जो तस्वीर बयां की है वह चौकाने वाली है। यह रिपोर्ट सरकारी दावों की भी पोल खोल रही है। जिले में अब भी करीब 2२ प्रतिशत से अधिक बच्चे कुपोषण का दंश झेल रहे हैं। बीते वर्ष से मई 201९ तक ३२ हजार से अधिक बच्चे कम वजनी (कुपोषित) हैं। यह हाल तब है जब जिले में 2०५८ आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है और हर माह इन पर भारी भरकम बजट खर्च किया जा रहा है। जिले में संचालित 20५८ से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों में करीब एक लाख ९९ हजार ६३३ बच्चे हैं। इन केन्द्रों पर प्रतिमाह ५० से ६० लाख रुपए खर्च किए जा रहा है। प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए पोषण आहार सहित अन्य योजनाओं पर खर्च किया जा रहा है। इस तरह प्रतिमाह एक बच्चे पर लगभग 3५० रुपए और प्रतिवर्ष एक बच्चे पर लगभग 42०० रुपए खर्च हो रहे हैं। वाबजूद इसके जिले में कुपोषण का कलंक खत्म तो दूर की बात, कम भी नहीं हो रहा है।
अतिकुपोषितों का भी बढ़ा आंकड़ा
शासन कुपोषण दूर करने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रहा है। लेकिन जिले के विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण कुपोषण के आंकड़े में कमी नहीं आ रही है। इसका खुलासा विभाग से जारी आंकड़ों से होता है। जिले में ३२८१४ कुपोषित बच्चों में करीब ३३०२ से अधिक बच्चे ऐसे हैं जो गंभीर रुप से कुपोषण का शिकार हैं। तमाम योजनाएं और करोड़ों के बजट के बावजूद जिले की ऐसी स्थित योजनाओं के क्रियांवयन व जिम्मेदारों की कार्य प्रणाली की पोल खोल रही है।
यहां नहीं आंगनबाड़ी
जिले में कुल २०५८ से अधिक आंगनबाडिय़ां संचालित है। वहीं जिले के कई दूरस्थ क्षेत्र में आज भी आंगनवाड़ी केन्द्रों की कमी खल रही है। यहां योजनाएं नहीं पहुंच पा रही हैं। इन स्थानों पर शासकीय योजना का लाभ नहीं मिलने, जानकारी के अभाव के कारण पुनर्वास केन्द्र तक बच्चे नहीं आ पाते हैं। क्षेत्र में कुपोषण का खुलासा कई बार सामुदायिक कार्यक्रम के दौरान भी हुआ है। पुलिस व समाजसेवियों की पहल पर कुपोषित बच्चों को अस्पताल तक पहुंचाया भी गया है।
ये मिलती है सुविधा
कुपोषण से जंग लडऩे विभाग के अलावा जिला अस्पताल में अलग से पोषण पुनर्वास केन्द्र खोला गया है। यहां कुपोषित बच्चों को उनकी माताओं के साथ भर्ती किया जाता है। इस दौरान भर्ती बच्चों की माताओं को 60 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से राशि भी दी जाती है। इसमें 35 रुपए भोजन और 25 रुपए की राशि अन्य के लिए दी जाती है। यहां बच्चों को नि:शुल्क पोषण आहार भी दिया जाता है। वहीं माता को भोजन पकाने की विधि भी बताई जाती है।
हर साल बढ़ रहे अतिकुपोषित बच्चे
जिले में हर साल अतिकुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। 201८-1९ में कुपोषित बच्चों की संख्या करीब १९ प्रतिशत थी, लेकिन अब आंकडा बढ़कर करीब २२ प्रतिशत पर पहुंच गया है।
सिर्फ दाल, चावल और दूध दिया जा रहा
कुपोषण दर को कम करने के लिए जिला अस्पताल में एनआरसी सेंटर में संचालित है। जहां पर बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने की जिम्मेदारी है। एनआरसी में भर्ती कुपोषित बच्चों को डाइट में सिर्फ दाल, चावल और दूध दिया जा रहा है। इसके अलावा कोई विशेष आहार बच्चों को नहीं मिल रहा है। इससे कुपोषित बच्चों के सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
इन गांवों में कुपोकषित बच्चों की अधिकता
जिले के बिजावर, बडामलहरा, बकस्वाहा, राजनगर और गौरिहर जनपद पंचायत क्षेत्र में पिछड़े गांवों में कुपोषण दर अधिक है। बिजावर क्षेत्र के खरयानी, पलकौहां, रईपुरा, विला, मैदनीपुरा, टिकरी, गुलाट, सटई क्षेत्र के कुपिया, कसार, विजयपुर, धुबयाई, लखनगुवां, पाली, बिलगांय, गोपालपुरा सहित अन्य गांव हैं जहां पर बडी मात्रा में कुपाषण है। वहीं बकस्वाहा क्षेत्र के गढ़ीसेमरा, सैपुरा, जरा, भडाटोर, गडोही, पाली, धरमपुरा, सुनवाहा। इसके अलावा सरवई, बारीगढ़, गौरिहार, चंदला, बमीठा, चंद्रनगर, ईशानगर, गुलगंज आदि क्ष्ेात्र में बडी संख्या में कुपोषित बच्चे हैं।

फैक्ट फाइल
कुल आंगनबाड़ी- 2058
कुल गांव- 1187
कुल वजन लिए गए बच्चे - 199633
सामान्य वजन - 166819
कम वजन (कुपोषित) - 29512
अति कम वजन (अतिकुपोषित) - 3302
छूटे बच्चे- 10819
इनका कहना है
में अभी कुछ ही दिन ही पहले जिले में आया हूं, इसकी जानकारी करके जहां-जहां पर भी कुपाेिषत बच्चों की संख्या अधिक है। जहां पर जाकर निरीक्षण किया जाएगा और उचित पोषण सामग्री दी जाएगी।
दिनेश दीक्षित, महिला बाल विकास अधिकारी, छतरपुर