फर्जी आईडी का इस्तेमाल रुकेगा
अभी तक यह देखा जा रहा था कि कई सेवा प्रदाता अपने पत्नी, रिश्तेदार, दोस्तों या अन्य फर्जी नामों से 5 से 6 आईडी बनाकर काम कर रहे थे। जब किसी एक आईडी पर गड़बड़ी पकड़ी जाती, तो वे दूसरी आईडी से काम शुरू कर देते थे। अब सेवा प्रदाता का व्यक्तिगत अंगूठा लगने के बाद ही रजिस्ट्री का स्लॉट बुक होगा, जिससे वास्तविकता की पुष्टि हो सकेगी और फर्जी आईडी से काम करना असंभव हो जाएगा।
ओटीपी से पहचान हो रही प्रमाणित
संपदा 1.0 सॉफ्टवेयर को अब पूरी तरह से बंद कर दिया गया है और विभाग ने संपदा 2.0 को ही आधिकारिक माध्यम बना दिया है। इस सॉफ्टवेयर की सबसे बड़ी खासियत है कि रजिस्ट्री प्रक्रिया में हर कदम पर क्रेता और विक्रेता दोनों को ्र्रओटीपी सत्यापन के जरिए अपनी पहचान प्रमाणित करनी पड़ती है। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि कोई तीसरा व्यक्ति किसी और की संपत्ति न बेच पाए।
रजिस्ट्री की कॉपी ईमेल से मिल रही
संपदा 2.0 के तहत अब ई-रजिस्ट्री की सुविधा भी दी जा रही है, जिसमें रजिस्ट्री की कॉपी ईमेल के जरिए पक्षकारों को तुरंत उपलब्ध कराई जा रही है। रजिस्ट्री के दौरान फोटो क्लिक करने और उपपंजीयक द्वारा क्लिक किए जाने के बाद ही प्रक्रिया पूरी होती है। इससे रजिस्ट्री प्रक्रिया और भी पारदर्शी एवं प्रमाणिक बन गई है।
इनका कहना है
शासन के निर्देशों का पूर्णत: पालन किया जा रहा है। संपदा 2.0 के नए फीचर्स के माध्यम से हम न केवल फर्जीवाड़ा रोकने में सक्षम होंगे, बल्कि पक्षकारों को बेहतर सुविधा भी उपलब्ध करा रहे हैं।
संजीव विमोचन तिवारी, उपपंजीयक