दरअसल उत्तर मध्य रेलवे के खजुराहो समेत 14 स्टेशनों पर फेस रिकॉग्निशन कैमरे (एफआरसी) लगाने जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) से लैस ये कैमरे स्टेशन आने वाले सभी यात्रियों का डेटा स्कैन कर सेंट्रल सर्वर को भेजेगा।
सेंट्रल सर्वर में देशभर के चिह्नित अपराधियों के डेटा से एनालिटिक्स व वीडियो एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर मिनटों में ही डेटा स्कैन कर भेजेगा। इसके बाद स्टेशन पर अलार्म बजेगा।
जिसके चलते आरपीएफ और सुरक्षा में तैनात अफसर मोबाइल पर ही इसे देख सकेंगे। ऐेसे में वे तुरंत कार्रवाई कर सकेंगे।
इस संबंध में झांसी रेलवे के पीआरओ मनोज कुमार सिंह का कहना है कि योजना रेल-टेल से चलेगी। टेंडर जारी हुए हैं। जून तक यह सिस्टम स्टेशनों पर काम करने लगेगा।
ऐसे समझें क्या होता है फेस रिकॉग्निशन कैमरा
फेस रिकॉग्निशन कैमरा यानि एफआरसी वो कैमरा है जो अपराधियों या फिर आतंकियों के चेहरे को देखते ही पहचान लेता है और सुरक्षाकर्मियों को अलर्ट कर देता है। यहां चेहरा पहचान लेने वाले कैमरे को फेस रिकग्निशन सिस्टम कहते हैं। ये कैमरा एक कंप्यूटर सिस्टम से जुड़ा होता है। जिसमें आतंकियों और बदमाशों की तस्वीरों के साथ-साथ उनका पूरा डाटा होता है।
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किसने कब कहां क्या क्राइम किया है, इसकी सारी डिटेल सामने आ जाती है। इतना ही नहीं जिस चेहरे की तस्वीर सिस्टम में फीड की गई है उससे मिलता जुलता चेहरा भी अगर इस कैमरे के सामने से गुजरता है, तो कैमरा तुरंत एक्टिव हो जाता है।
ये स्टेशन चिह्नित
निर्भया फंड से झांसी रेल मंडल के बबीना, बांदा, चित्रकूट धाम, डबरा, दतिया, धौलपुर, ग्वालियर, खजुराहो, ललितपुर, महोबा, मानिकपुर, मुरैना, उरई एवं अतर्रा स्टेशन।
ये कैमरे लगेंगे
बुलेट टाइप, पैन टिल्ट, जूम टाइम और अल्ट्रा एचडी-4 टाइप कैमरे। अंधेरे में भी तस्वीर कैद हो सकेगी। वीडियो रिकॉर्डिंग 30 दिन तक सुरक्षित रहेगी।