छतरपुर. शहर के बस स्टैंड से चलते वाली कई बसों में निर्धारित से अधिक सीटें लगाई गई हैं। जिससे सीटों की बीच की दूरी कम हो गई। जो यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है। हालात है कि यहां से चलते वालीं अधिकतर ३२ सीटर बसें हैं और इनमें ३५,३६ और ४० लोगों के लिए सीटें लगवाई गई हैं। इसके साथ ही इंजन के बोनट में भी ४-५ लोगों को बैठा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार छतरपुर बस स्टैंड से चलने वाली बसों में २४ सीटर से लेकर ४० सीटर तक मिनी बसों जिले के विभिन्न रूटों में संचालित होती हैं। इसके बाद बड़ी बसें ५२ सीटर हैं। इनमें से मिनी बसों में ५ से लेकर ८ लोगों के लिए सीटों अधिक लगवाई गई हैं, इसके साथ ही चालक के पीछे २ लोगों के लिए और इंजन के बोनट के ऊपर अलग से सीट बनवाई है। जहां पर ४-५ लोगों को बैठाया जाता है। ऐसे में सामान्य ३२ सीटर मिनी बस में ४५ से सवारियों को बैठाया जाता है और २ दर्जन से अधिक को बस में खड़ा किया जा रहा है। ऐसे में यात्रियों को खासी समस्या का सामना करना पड़ता है। बिजावर जाने के लिए तैयार खड़ी बस में बैठक वृद्ध सुकईयां कुम्हार निवासी पिपट ने बताया कि बस में सीट में बैठने के दौरान पैरों में आगे की सीटें चुभती हैं। वहीं रास्ते में मिलने वाली सवारियों को भरने के चक्कर में बस जानवरों की तरह लोड़ की जा रही है, ऐसे में परेशानी होती है।
वहीं बड़ी बसों में ५२ लोगों के लिए सीटें होती है, लेकिन बस संचालकों द्वारा इनमें ४-५ सीटें बढ़ा ली हैं। जिससे सीटों में स्पेस कम हो गया और यात्रियों को दिक्कत होने लगी। इसके साथ ही संचालक चालक के पीछे व बोनट में ६-७ लोगों को बैठते हैं। जिससे ५२ लोगों के स्थान में ६५ से अधिक सवारियां बैठते हैं इसके साथ पूरी बस तक यात्रियों को खड़ा कर सफर कराया जाता है।
एक फीट होना चाहिए गैप
बस की दो सीटों की बीच में करीब एक फीट या इससे अधिक का गैप होना जरूरी है। जिससे यात्री आसानी से पैरों को मोड़ सके। इसके साथ ही पीछे की सीट में बैठे लोगों को दरवाजे से आने वाले वालों को रास्ता देना पड़ता है। बस संचालकों द्वारा कुछ बसों में निर्धारित सीटें ही लगवाई गई हैं, लेकिन चालक के पीछे पहली सीट ओर उसी लाइन की आखिरी सीट के पास काफी जगह छोडी जाती है, जहां पर लगेज रखने और सवारियों को खड़ा करने के लिए उपयोग किया जा रहा है।