छतरपुर. शहर के गांधी आश्रम में एक मई से शुरू हुए इप्टा और शंखनाद नाट्य मंच के शिविर का ऑडिटोरियम में रंगारंग समापन हो गया। इस दौरान बच्चों ने दो जनगीत, एक लोकगीत, तीन समूह नृत्य और एक नाटक की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ नगरपालिका अध्यक्ष ज्योति चौरसिया के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। इस दौरान वरिष्ठ समाजसेवी, गांधीवादी व प्रगतिशील कृषक प्रेमनारायण मिश्रा, प्रो.सुमति प्रकाश जैन, संजीव नगरिया, दमयंती पाणी आदि भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की शुरुवात प्रशिक्षक अटल शुक्ला के मार्गदर्शन में जनगीतों से हुई। शिविर में शामिल सभी बच्चों ने हरिओम राजोरिया के लिखे जनगीत- कैसा भरम बनाया उसने और जि़ंदगी से लड़ जऱा के साथ एक बुन्देली लोकगीत प्रस्तुत किया। शिल्पा रैकवार, प्रियंका सैनी, मेधा बुधौलिया, अनन्या खरे, और निष्ठा गुप्ता के मार्गदर्शन में एक बुंदेलखंडी ढिमरयाई सहित तीन नृत्य पेश किए गए। परंपरागत और नृत्य अनुकूल वेशभूषा से ये प्रस्तुतियां सजीव हो उठीं।
जब मोबाइल की रोशनी में हुआ नाटक
आयोजन के दौरान एक समय ऐसा भी आया कि जब लाइट अचानक चली गयी और शोर होने लगा। इस दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी तोता का नाट्य मंचन चल रहा था। अचानक से सभी दर्शकों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए पूरी तरह से खामोश होकर मोबाइल की लाइट मंच पर फेंकना शुरू कर दी। एक पल के बाद पूरा मंच मोबाइल की लाइट से जगमगा गया और बच्चों ने रुका हुआ नाटक वहीं से शुरू कर दिया। ये एक अद्भुत और यादगार अहसास था जिसमे लगा कि छतरपुर की जनता अब नाटक का महत्व समझने लगी है और उसने बेहद खामोशी से नाटक के हर एक डायलॉग को सुना और मंच पर रोशनी करके अपनी भूमिका निभाई। नाटक का निर्देशन गुंजन गोस्वामी के द्वारा किया गया जिसमें कृष्णकांत मिश्रा और अभिदीप सुहाने ने महत्वपूर्ण जि़म्मेदारी निभाई।
अतिथियों ने किया कला दीर्घा का अवलोकन
कार्यक्रम में दीप प्रज्वलन के पश्चात हॉल में लगाई गई आर्ट एंड क्राफ्ट प्रदर्शनी का नपाध्यक्ष ज्योति चौरसिया सहित अतिथियों और अभिभावकों ने अवलोकन कर बच्चों की मेहनत को भरपूर सराहा। इस प्रदर्शनी के पीछे दीपिका अहिरवार, लोकेश पुष्पकार, अनामिका कुशवाहा, प्रांजल शुक्ला, अंकित पाल, सोमिल गोस्वामी, नवदीप पाटकर और यश सोनी की प्रमुख भूमिका रही। कार्यक्रम का संचालन नीरज खरे के द्वारा किया गया तो वहीं इस शिविर व पूरे आयोजन में वरिष्ठ रंगकर्मी शिवेंद्र शुक्ला, गांधी आश्रम की सचिव दमयंती पाणी, अभिदीप सुहाने, सर्वेश खरे, मानस गुप्ता, कृष्णकांत मिश्रा और विकास मिश्रा का विशेष योगदान रहा।