
ओवर लोड बस
जिले में ओवरलोडिंग की समस्या लगातार विकराल रूप लेती जा रही है। खासकर सार्वजनिक परिवहन के नाम पर चल रही पुरानी और जर्जर (कंडम) बसें न केवल नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं, बल्कि आम जनता की जान से भी खुला खिलवाड़ किया जा रहा है। इन बसों में क्षमता से कई गुना अधिक सवारियां ठूंसी जा रही हैं और बसों की छतों पर भारी मात्रा में सामान लादकर उन्हें चलाया जा रहा है। शहर के प्रमुख मार्गों, ग्रामीण रूटों और बस स्टैंड से गुजरने वाली इन ओवरलोड बसों को देखकर यह स्पष्ट होता है कि या तो आरटीओ विभाग आंखें मूंदे बैठा है या फिर खानापूर्ति कर रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि कई बार ऐसे वाहनों में स्कूली बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं यात्रा कर रहे होते हैं, जो किसी भी संभावित दुर्घटना में गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
स्थानीय नागरिकों ने इस पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि प्रशासन और परिवहन विभाग की निष्क्रियता की वजह से बस संचालकों के हौसले बुलंद हैं। बकस्वाहा, नौगांव, राजनगर, लवकुशनगर और गौरिहार जैसे इलाकों से आने-जाने वाली बसों में ओवरलोडिंग आम बात हो चुकी है।
इस विषय में जब आरटीओ अधिकारी मधु सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया, हम समय-समय पर अभियान चलाकर चालानी कार्रवाई करते हैं और ओवरलोड वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग तस्वीर पेश करती है। न तो प्रमुख चौराहों पर चेकिंग देखी जा रही है और न ही बस स्टैंड या प्रमुख मार्गों पर कोई सख्ती नजर आ रही है।
परिवहन नियमों के अनुसार, किसी भी यात्री वाहन में क्षमता से अधिक सवारी नहीं बैठाई जा सकती और छत पर ओवर हाइट किसी प्रकार का भारी सामान नहीं रखा जा सकता। लेकिन छतरपुर में यह सब कुछ खुलेआम हो रहा है। कभी सामान से बोरियां, कभी एलपीजी सिलेंडर, तो कभी भारी सब्जी की बोरियां बसों की छतों पर रखी जाती हैं। इससे न केवल वाहन की स्थिरता प्रभावित होती है, बल्कि ऊपर बैठे यात्रियों की जान भी खतरे में रहती है।
बीते कुछ महीनों में छतरपुर जिले में कई सडक़ हादसे सामने आए हैं, जिनका कारण ओवरलोडिंग और वाहन की तकनीकी खराबी रहा है। बावजूद इसके न तो वाहन संचालकों में डर है और न ही विभाग में सक्रियता। यह सवाल आज हर आम नागरिक के मन में है कि जब खतरा इतना साफ नजर आ रहा है तो जिम्मेदार चुप क्यों हैं? क्या आरटीओ विभाग की जिम्मेदारी सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित रह गई है? या फिर हर स्तर पर लापरवाही और मिलीभगत ने पूरे सिस्टम को खोखला कर दिया है?
स्थानीय नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और यात्रियों का कहना है कि ओवरलोडिंग और जर्जर वाहनों के संचालन पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। इसके लिए आरटीओ विभाग को स्थायी निगरानी दल गठित करना चाहिए, जो विभिन्न रूटों पर नियमित रूप से जांच करे। इसके अलावा आम नागरिकों से शिकायत प्राप्त करने के लिए हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन शिकायत पोर्टल की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।
Published on:
27 Jun 2025 10:23 am
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