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बगैर रेरा पंजीयन वाली कॉलोनियों में प्लाटों की हो रही रजिस्ट्री, लेकिन मालिक नहीं बन पा रहे लोग

- बंदोबस्त रिकॉर्ड चेक करके हो रहे नामांतरण, फंस रहे बिना समझे खरीदने वाले ग्राहक

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बसाई जा रही अवैध कॉलोनी छतरपुर

बसाई जा रही अवैध कॉलोनी छतरपुर

पब्लिक कनेक्ट

छतरपुर। शहर के आउटर वाले इलाके व फोरलेन के आसपास बिना रेरा पंजीयन वाली कॉलोनियां विकसित की जा रही है। इन कॉलोनियों में लोगों को प्लाट बेचे जा रहे हैं। जिनकी रजिस्ट्री भी हो रही है। हालांकि ऐसे प्लॉट खरीदने वाले जमीन के मालिक नही बन पा रहे हैं। क्योंकि ऐसी जमीनों के नामांतरण नहीं हो रहे हैं। तहसील में नामांतरण के दौरान बंदोबस्त का रिकॉर्ड देखकर ही नामांतरण किए जा रहे हैं। बंदोबस्त में जो जमीनें सरकारी है, उनमें से ज्यादातर आज के रिकॉर्ड में निजी दर्ज है, जिसके चलते उनकी रजिस्ट्री तो हो रही,लेकिन नामांतरण नहीं हो रहे हैं। वहीं रेरा पंजीयन न होने से भी परेशानी हो रही है। ऐसे में बिना समझे प्लॉट खरीदने वाले फंस रहे हैं। ज्यादातर लोग जमीन खरीदने के बाद रिकॉर्ड देख रहे, जबकि जमीन की रजिस्ट्री कराने से पहले ही रिकॉर्ड देख लें तो मुसीबत में फंसने से बच जाए।

20 का है रेरा में रजिस्ट्रेशन
जिले में रेरा लागू होने के बाद भी अभी तक मात्र 20 कॉलोनियों का रजिस्ट्रेशन हैं और जिले में दो सौ से अधिक कॉलोनी में निर्माण कार्य किया जा रहा है। इनमें से 17 कॉलोनी व प्रोजेक्ट छतरपुर शहर के है और 3 कॉलोनी या प्रोजेक्टी नौगांव में हैं। लेकिन इसके अलावा बडी संख्या में भू व्यापारियों द्वारा लोगों को बरगला कर प्लॉट और मकानों की बिक्री की जा रही है।

150 अवैध कॉलोनी हुई थी चिंहित
छतरपुर शहर में दो साल पहले 150 अवैध कॉलोनियां चिन्हित की जा चुकी हैं। इनमें प्लाट विक्रय करने वालों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किए जाना है। जैसे-जैसे प्रशासन को अवैध कॉलोनाइजर की जानकारी मिल रही है उनके विरूद्ध धारा 339 नगर पालिका अधिनियम 1961/धारा 61 मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया जा रहा है। प्रकरण दर्ज होने के बाद नगर पालिका अथवा आरआई ऐसे अविकसित कॉलोनी क्षेत्रों में विकास के लिए खर्च होने वाली राशि का मूल्यांकन करेंगे। यह राशि अवैध कॉलोनाइजर से वसूली जाएगी और फिर इसी राशि से संबंधित कॉलोनी में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी ताकि उक्त कॉलोनी को वैध होने का दर्जा मिल सके।

सशर्त हो रहे नामांतरण
केन्द्र सरकार द्वारा लाया गया रेरा अधिनियम 1 मई 2016 से प्रभावी हो चुका है। इस अधिनियम के मुताबिक आवासीय कॉलोनी निर्माण अथवा भूखण्ड विक्रय करने वाले लोगों को जमीन के 62 फीसदी हिस्से को ही बेचने की अनुमति होती है जबकि 38 फीसदी हिस्से को खुला छोडऩा होता है। इसके अलावा कॉलोनी निर्माता को स्थानीय निवासियों के लिए सड़क, बिजली, पानी, पार्क आदि मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी होती है। इस कानून के प्रभावी होने के बाद भी छतरपुर तहसील क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध कॉलोनाइजर कृषि भूमियों को भूखण्डों में तब्दील कर विक्रय करने में जुटे हुए हैं। इससे न सिर्फ शासन को राजस्व की हानि होती है बल्कि प्लाट खरीदने वाले आम लोग भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहते हैं।

ये सुविधाएं है जरूरी
रेरा लागू होने के बाद जिले में जो भी कॉलोनी या प्रोजेक्ट है उनमें बिक्री करने से पहले की सीसी रोड, बिजली, पानी, नाली, पार्क आदि का निर्माण कराना आवश्यक हैं। जिसके बाद ही वहां पर प्लॉट या मकान बनाकर बेचने की इजाजत होती है। यह सुविधाएंं बिना दिए ही अगर कोई बिल्डर या व्यापारी प्लॉट या मकान की बिक्री करता है तो उसपर कार्रवाई की जा सकती है।

कर सकते हैं शिकायत
आम लोग ऐसे चल रहे आवासीय कॉलोनी वा प्रोजेक्ट जिसमें अभी विकास कार्य पूरे नहीं हुए हैं या फिर रेरा में पंजीकृत नहीं हैं। उनकी जानकारी भोपाल में बोर्ड ऑफिस कैम्पस में स्थित रेरा भवन कार्यालय में दे सकते हैं। रेरा प्राधिकरण के चेयरमैन और उनके सहयोगितयों के द्वारा पक्षकारों को आसानी से न्याय दिलाने के लिए भोपाल में सुनवाई की जाती है।