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कोटा से लौट ९२ छात्र-छात्राएं व 3 अभिभावक, 5 संदिग्ध के लिए सैंपल

सभी बच्चों की हुई सूक्ष्म स्क्रीनिंग, 90 को होम क्वारंटाइन किया, 5 में मिले सर्दी-जुकाम के लक्षण, संदिग्धो के सैंपल भेजे जांच के लिएलॉक डाउन में बाजार खुलने की छूट के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर लापरवाही कर रहे लोग, कलेटर ने की सावधानी रखने की अपील

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quarantine done in hospital

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छतरपुर। कोटा में नीट और जीइई की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं को छतरपुर लाया गया है। शिवपुरी से छतरपुर बच्चों को लाने गए दल की मुखिया संयुक्त कलेक्टर विनय द्विेदी ने बताया कि जिले के ९2 बच्चों व 3 अभिभावकों को छतरपुर लाया गया है। सीएमएचओ डॉ. विजय पथौरिया ने बताया कि छतरपुर लाए गए सभी लोगों की सूक्ष्म स्क्रीनिंग की गई। जबकि 5 बच्चों में सर्दी-जुकाम के लक्षण होने पर उनके सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। इन बच्चों को जिला अस्पताल में क्वारंटाइन किया गया है। जबकि बाकी बच्चों को उनके घर पर क्वारंटाइन किया गया है। प्रशासन द्वारा 10 बसों में बच्चों को छतरपुर लाया गया है, जिनमें से ९2 बच्चे व 3 अभिभावक छतरपुर जिले के हैं, बाकी बच्चे रीवा,सीधी,सिंगरौली जिले के हैं। जिन्हें शहर के अलग-अलग मैरिज गार्डन में रोककर उनका मेडिकल चेकअप किया गया और चाय-नाश्ता के बाद बसों के जरिए रीवा,सीधी,सिंगरौली के लिए रवाना किया गया।
2 सैंपल और हो गए रिजेक्ट
कोरोना संक्रमण की आशंका में जिले से 22 अप्रेल तक 192 सैंपल भेजे गए हैं। जिनमें से 166 की रिपोर्ट निगेटिव आई है। जबकि 21 सैंपल पहले ही फेल हो गए थे। 2 सैंपल अभी लैब ने रिजेक्ट कर दिए। जबकि 3 सैंपल की रिपोर्ट बुधवार की रात आई, जो निगेटिव पाई गई है। प्रशासन के डोर-टूडोर सर्वे में 19 लाख 90 हजार 330 लोगों की जांच की गई है। जिसमें सर्दी-खांसी के मिले मरीजों में से केवल अब 110 लोगों को ही सर्दी-जुकाम की शिकायत रह गई है। वहीं, ऑपरेशन पहचान के तहत सदी-जुकाम और बुखार के 49 नए मरीजों की पहचान हुई है।
सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर हो रहा लापरवाही
21 अप्रैल से लॉकडाउन में मिली छूट के दुरूपयोग के मामले सामने आ रहे हैं। जिन दुकानों को खोलने की छूट मिली है, उनके अलावा भी कई दुकानें खोली जा रही है। वहीं, बाजार में आने वाली भीड़ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रही है। जिले में कोरोना संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है, फिर भी सावधानी की अभी जरूरत है, क्योंकि खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है। कोरोना को हराने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क का उपयोग ही उपाय है, लेकिन लोग खतरे के प्रति लापरवाही दिखा रहे हैं। इन मामलों को देखते हुए कलेक्टर ने एक बार फिर जिले के नागरिकों से अपील की है कि कोरोना वायरस का खतरा अभी टला नहीं है इसलिए लापरवाही न बरतें। उन्होंने कहा है कि लॉकडाउन में मिलने वाली छूट के दौरान जब दुकानें खुल रही हैं तो लोग बड़ी संख्या में बाजारों में पहुंच रहे हैं। दुकानदार और ग्राहक बिना सोशल डिस्टेसिंग का पालन किए हुए देखे जा रहे हैं जो कि खतरे का आमंत्रण हैं।
हमारे बीच हो सकते हैं साइलेंट कोरोना कॅरियर
कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने कहा कि कोरोना संक्रमण के जो नए मामले देश भर में सामने आ रहे हैं उनमें बड़ी संख्या ऐसे मरीजों की है, जिनमें कोई लक्षण नहीं है। ऐसे मरीज कोरोना वायरस के साइलेंट कॅरियर हैं। हमें पता ही नहीं चलता कि हमारे बीच मौजूद एक स्वस्थ व्यक्ति जैसा दिखने वाला इंसान भी कोरोना वायरस का संक्रमित हो सकता है और जब हम ऐसे लोगों के संपर्क में आते हैं तो हमें भी कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। छतरपुर जिले में अब तक कोरोना के संक्रमण वाला कोई मरीज सामने नहीं आया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमारे आसपास कोरोना के मरीज नहीं हो सकते। हमें अब भी सतर्क रहने की जरूरत है।
कफ्र्यू खुलते ही नियमों की धज्जियां उड़ा रहे टैक्सी चालक
राजनगर और खजुराहो क्षेत्र में 21 अप्रैल से कफ्र्यू खोल दिया गया है लेकिन अब भी यहां 3 मई तक लॉकडाउन के निर्देश हैं। इसके बावजूद राजनगर में ऐसी तस्वीरें सामने आईं जिन्हें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग कोरोना वायरस के खतरे को किस तरह हल्के में ले रहे हैं। यहां के टैक्सी चालकों ने एक-एक टैक्सी में 10 से अधिक लोगों को ढोना शुरू कर दिया है। इन टैक्सी चालकों को न तो पुलिस का डर है और न ही प्रशासन का। स्थानीय प्रशासन द्वारा दी गई यह छूट कोरोना की लड़ाई को कमजोर कर सकती है।
मास्क से कम हो जाता है खतरा
लॉकडाउन में मिलने वाली छूट के कारण कुछ लोग घरों से निकलने लगे हैं और जरूरी काम करने लगे हैं लेकिन जब तक कोरोना की दवा नहीं बन जाती तब तक दुनिया भर में कोरोना का खतरा बना रहेगा। इस पीरियड में हमें सोशल डिस्टेसिंग और मास्क के इस्तेमाल का ध्यान रखना चाहिए। जब एक स्वस्थ्य व्यक्ति किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति से मास्क लगाकर मिलता है तो खतरा 5 फीसदी होता है और जब कोरोना संक्रमित व्यक्ति और स्वस्थ व्यक्ति दोनों मास्क लगाए होते हैं तब संक्रमण का खतरा लगभग 1.5 फीसदी होता है लेकिन जब स्वस्थ्य व्यक्ति किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति से बिना मास्क लगाए मिलता है तो उसके संक्रमित होने का खतरा 70 फीसदी से अधिक होता है इसलिए मास्क का उपयोग और सोशल डिस्टेसिंग ही हमें कोरोना से बचा सकते हैं।