
छतरपुर/ हनीट्रैप में मामले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद कई नाम सामने आए हैं। साथ ही कई ऐसी चीजें भी सामने आई हैं, जिस पर सवाल उठ रहे हैं। क्या सरकार इन मामले में बड़े सफेदपोशों को बचा रही है। लेकिन अभी तक जो खुलासे हुए हैं, वह आरती दयाल, श्वेता विजय जैन और मोनिका के इर्द-गिर्द ही घूम रहे हैं। आरती के छतरपुर के ढेरों कनेक्शन सामने आए हैं। जिससे उसके कई और राज खुले हैं।
आरती दयाल ने छतरपुर के पांच लोगों के वीडियो बनाए थे। तीन लोग ब्लैकमेल होने से किसी तरह बच गए। इन तीनों को ब्लैकमेल करने से छतरपुर के एक तत्कालीन टीआई ने रोका था। चार्जशीट में पुलिस ने टीआई का जिक्र तो किया है लेकिन उसके नाम का उल्लेख नहीं है। ऐसे में सवाल कई खड़े हो रहे हैं कि आखिरी पुलिस जांच टीम टीआई को क्यों बचा रही है।
आरती के पिता हैं एसडीओ
दरअसल, आरती दयाल का असली नाम आरती अहिरवार है। उसका परिवार छतरपुर के डेरी रोड पर स्थित कृष्णा कॉलोनी में आज भी रहता है। उसके पिता वृंदावन अहिरवार आरइएस विभाग में एसडीओ के पद पर पदस्थ हैं। परिवार के लोगों के संपर्क में वह जेल जाने से पहले तक थी। लेकिन इन कामों के बारे में वह परिवार से कभी जिक्र नहीं करती थी। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इसके छतरपुर वाले घर पर भी दबिश दी थी।
थानेदार देता था IDEA
वहीं, तत्कालीन टीआई को पता था कि हनीट्रैप गिरोह प्रदेश के नेता, अफसर और बिजनेसमैन का वीडियो बनाकर ब्लैकमेल कर रहा है लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। उलटे टीआई गिरोह को यह समझाता था कि किससे कितने रुपये वसूलने हैं। टीआई ने ही कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोज त्रिवेदी और उसके सहयोगियों से पैसे लेने से मना किया था। उसके बाद आरती ने उन्हें ब्लैकमेल नहीं किया। छतरपुर में आरती टीआई के ही सलाह पर काम करती थी।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने बंद किया फोन
हनीट्रैप मामले में सीआईडी की चार्जशीट नाम आने के बाद कांग्रेस जिला अध्यक्ष मनोज त्रिवेदी की आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं रविवार की दोपहर से ही उनका मोबाइल नंबर बंद है। जबकि इस मामले में भाजपा जिलाध्यक्ष मलखान सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के संगठन को ऐसे लोग मजबूती दे रहे हैं जिससे पार्टी के संस्कार का पता चलता है। ये लोग दूसरों का पर अनर्गल आरोप लगाते हैं जबकि खुद गलत कार्य में संलिप्त हैं।
मनीष अग्रवाल से ली क्रेटा
इंदौर में जिस क्रेटा कार के साथ आरती पकड़ी गई थी। उसका रजिस्ट्रेशन आरती दयाल के नाम से छतरपुर आरटीओ में है। सीआईडी के चालान के मुताबिक आरती ने ये कार छतरपुर के हुंडई शोरूम के संचालक मनीष अग्रवाल का वीडियो बनाकर ब्लैकमेल कर हासिल की। आरती दयाल ने मनीष अग्रवाल का वीडियो सागर लैंडमार्क के प्लैट 112-ए ब्लॉक प्रथम तल में बनाया था। इस कार की रजिस्ट्रेशन बारह सितंबर को हुआ था।
पति ने खोले राज
आरती दयाल अपने कागजातों में पति के नाम के रूप में पंकज दयाल का नाम लिखती है। जबकि पंकज ने कहा कि उसकी शादी आरती से नहीं हुई है, बल्कि आरती की शादी 2011-12 में फरीदाबाद के रहने वाले अनिल वर्मा से हुई थी। शादी के बाद उसका नाम आरती वर्मा हो गया था। लेकिन शादी के महज एक साल बाद ही वो अपने ससुराल से भाग गई थी और छतरपुर आकर उसने थाने में अपने पति समेत पूरे ससुराल पर दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करवा दिया था, जो अभी कोर्ट में चल रहा है।
पंकज के मुताबिक आरती ने उसे बताया था कि अनिल और उसके परिवार ने उसका जीवन नरक कर दिया था। जिसकी वजह से वह अनिल के साथ नहीं रहना चाहती है और उससे तलाक हो गया है। इस तरह से आरती ने उशकी हमदर्दी का फायदा उठाकर उससे नजदीकियां बढ़ाई और लिव इन में रहने लगी। लेकिन जब पंकज को पता चला कि आरती का तलाक नहीं हुआ है। उसके बाद पंकज की शादी 19 फरवरी 2019 को गुलगंज में होनी थी। लेकिन आरती ने अपने राजनीतिक रसूख के दम पर दूसरी शादी करने का झूठा मामला दर्ज करवा दिया। मगर आरती से कभी उसकी शादी नहीं हुई थी।
लिव इन से अलग हुए भी दोनों को तीन साल बीत गए थे। केस दर्ज होने के बाद पंकज ने कई साक्ष्य जुटाए, उसके बाद उसकी शादी हुई। आरती से नाता तोड़कर पिछले चार साल से पंकज कटनी में रह रहा है, वहीं दयाल एसोसिएट्स के नाम से अपना बिजनेस चला रहा है।
Published on:
30 Dec 2019 02:48 pm
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