छतरपुर. किशोर सागर तालाब से अतिक्रमण हटाने के नेशनल ग्रीन ट्ब्यिूनल (एनजीटी) के आदेश का पालन में भारी गफलत की गई है। जिला प्रशासन ने किशोर सागर तालाब के दूसरी ओर अस्पताल के लिए गेट बनाने के लिए लीज खत्म होने पर दुकानें और धर्मशाला को हटाया और द्तिीय अतिरिक्त जिला न्यायाधीश को तालाब के जलभराव क्षेत्र से अतिक्रमण हाटने की रिपोर्ट दे दी। हालांकि इस रिपोर्ट में प्रशासन ने मेढ़ क्षेत्र के 10 मीटर की परिधि में पुन: सीमांकन कर अतिक्रमण चिंहित कर भविष्य में कार्रवाई की बात भी कही है। कोर्ट ने इस मामले में अब 17 जुलाई की अगली तारीख दी है।
कई बार कोर्ट ने मांगा प्रतिवेदन
एनजीटी ने अपने आदेश का पालन कराने के लिए सत्र न्यायालय को जिम्मेदारी सौंपी। जिसके बाद न्यायालय ने कलक्टर के नाम तीन बार नोटिस जारी कर तालाब के प्रकरण का प्रतिवेदन मांगा। लेकिन एक साल में प्रशासन ने इस दिशा में कोई कदम नहीं बढ़ाया है। न्यायालय ने सबसे पहले 18 अक्टूबर 2022 को कलक्टर के नाम से पत्र जारी कर एनजीटी के आदेश पर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन पेश करने का आदेश दिया था। इसके बाद 22 नवंबर 2022 और 12 जनवरी 2023 को व्यक्तिगत नाम से पत्र जारी किए। प्रशासन ने 28 जून को कोर्ट में कार्रवाई का प्रतिवेदन पेश किया, जिससे गड़बड़ी का खुलासा हुआ है।
2021 में एनजीटी ने दोबारा दिए थे आदेश
तालाब के डूब क्षेत्र से अवैध कब्जा हटाने रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी बीएल मिश्रा ने एनजीटी भोपाल में याचिका प्रस्तुत की थी। मामले में सुनवाई करते हुए एनजीटी ने तालाब के संपूर्ण भराव क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने आदेश दिए थे। लेकिन छतरपुर प्रशासन ने एनजीटी के आदेश बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की है। एनजीटी के आदेश का अपमान कर प्रशासन द्वारा कार्रवाई न करने का मामला दोबारा एनजीटी पहुंचा। जहां एनजीटी ने 20 सितंबर 2021 को जारी आदेश में पूर्व आदेश का निष्पादन कराने की जिम्मेदारी जिला न्यायाधीश छतरपुर को सौंप दी। अब यह मामला द्वितीय अतिरिक्त जिला न्यायाधीश हिमांशु शर्मा की अदालत में विचाराधीन है।
जिला प्रशासन द्वारा न्यायालय के आदेश की हो रही अवमानना
किशोर सागर तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराने के संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी की भोपाल बेंच ने 27 अप्रेल 2014 को एक आदेश पारित किया था। इस आदेश में तालाब के संपूर्ण भराव क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त कराने को कहा गया है। भराव क्षेत्र के बाद गलियारा और 10 मीटर क्षेत्र में ग्रीनबेल्ट विकसित करने के आदेश दिए गए हैं। इस आदेश के तहत छतरपुर कलक्टर को अतिक्रमण हटाने और नगर पालिका छतरपुर को ग्रीनबेल्ट विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई है। पर अब तक न्यायालय के इस आदेश का पालन नहीं किया गया है। जिला प्रशासन लगातार न्यायालय के आदेश की अवमानना कर रहा है।
इनका कहना है
राजस्व विभाग की रिपोर्ट का विरोध किया गया है। एनजीटी में पास सीमांकन व नक्शा से अलग स्थान पर कार्रवाई कर रिपोर्ट दी है। जबकि नियमानुसार दोबारा सीमांकन व नक्शा मान्य नहीं है।
बीएल मिश्रा, याचिकाकर्ता