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हाइवे पर काल बने घूम रहे आवारा पशु, जिम्मेदारों ने झाड़ा पल्ला, सूनी पड़ी गौशालाएं

फोरलेन पर आवारा मवेशी बन रहे हादसो का कारण, नहीं हो रहा समाधान

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फोरलेन पर आवारा मवेशियों का जमावड़ा

फोरलेन पर आवारा मवेशियों का जमावड़ा

छतरपुर. जिले में संचालित तमाम गौशालाओं का सही ढंग से संचालन न होने के चलते इन दिनों फोरलेन सहित अन्य प्रमुख मार्गों पर आवारा पशु काल बनकर घूम रहे हैं। दरअसल सडक़ों पर बैठने वाले इन आवारा पशुओं के कारण हर रोज सडक़ दुर्घटनाएं हो रही हैं जिनमें कई लोग जख्मी होते हैं, जबकि कईयों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। इसके अलावा दुर्घटनाओं में मवेशियों की भी मौत हो रही है। वहीं जिम्मेदार अधिकारियों ने इस समस्या को लेकर अपना पल्ला झाड़ लिया है। जिला प्रशासन भी मामले में चुप्पी साधे हुए है। जिले की ज्यादातर गौशालाएं सूनी पड़ी हैं और आवारा जानवर सडक़ों पर बैठ रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक झांसी-खजुराहो फोरलेन पर रात के वक्त सैकड़ों आवारा जानवर बैठते हैं, जिस कारण से रोज बड़ी दुर्घटनाएं हो रही हैं। यह हाल सिर्फ हाइवे का नहीं, जिले के अन्य मार्गों पर भी ऐसे ही हालात हैं। फोरलेन पर हालात ऐसे हैं कि शाम होने के बाद कोई भी वाहन 20 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से तेज नहीं चल पाता। इससे तेज गति वाले वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे में जो दूरी एक घंटे में तय होती है उसे तय करने में लगभग तीन गुना समय वाहन चालकों को लग रहा है। आम वाहन चालकों के अलावा कई मर्तबा एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसे वाहन भी समय पर अपने गंतत्व तक नहीं पहुंच पाते। आवारा मवेशियों के कारण फोरलेन पर चलना लोगों के लिए बेहद मुश्किल हो गया है।

छतरपुर जनपद में 14 गौशालाएं, ज्यादातर पड़ी सूनी
एनएचएआई कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन के अंतर्गत पशु पालन एवं डेयरी विभाग, छतरपुर तथा जनपद पंचायत के माध्यम से 14 गौशालाएं संचालित हैं, जिनको राज्य शासन द्वारा आवारा पशुओं के पालन-पोषण हेतु प्रतिनग 600 रुपए अनुदान का दिया जाता है। किन्तु अनुदान प्राप्त गौशालाओं का सही ढंग से संचालन न होने के चलते यहां के आवारा मवेशी फोरलेन पर विचरण कर रहे हैं और ज्यादातर गौशालाएं सूनी पड़ी हैं।

एनएचएआई ने भी प्रशासन को माना जवाबदार
वाहन चालकों के सामने उत्पन्न हुई इस विकराल समस्या को लेकर जब भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, परियोजना कार्यान्वयन इकाई छतरपुर के निर्देशक पीएल चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सडक़ पर बैठने वाले आवारा जानवरों के लिए व्यवस्था करना उनकी जिम्मेदारी नही है। यह व्यवस्था कलक्टर अथवा नगर पालिका द्वारा की जानी है।