
समाजिक चेतना केंद्र
छतरपुर. जिले में चिंहित किए गए असाक्षरों को साक्षर करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस साल पूरे जिले में 68 हजार असाक्षर साक्षर बनाए गए हैं। इसमें सबसे ज्यादा नौगांव ब्लॉक के असाक्षर साक्षर बने। अभियान में विकासखंड वार लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसमें विकासखंड छतरपुर में 8062, बिजावर में 8340, बकस्वाहा में 6674, बड़ामलहरा में 10175, नौगांव में 11444, राजनगर में 7807, लवकुशनगर में 8454 और गौरिहार में 7625 असाक्षर शामिल होंगे। इस प्रकार जिले के 68 हजार 581 असाक्षरों को आगामी परीक्षा में सम्मिलित कराकर साक्षर बनाए गए हैं।
गांव-गांव में बनाए अक्षर साथी
इनको शिक्षित करने के लिए पढ़े-लिखे नौजवानों को (वालंटियर के रूप में) अक्षर साथी बनकर काम करने की जिम्मेदारी दी गई है। जिले के सभी विकास खंडों में ऐसे उत्साही युवक जो पढ़े लिखे हैं, वे अपने ही गांव और मोहल्ले में सामाजिक चेतना केंद्र संचालित कर रहे हैं। ग्राम करारा गंज में जब नवभारत साक्षरता कार्यक्रम की शुरुआत की गई, तब कुछ अक्षर साथी ही पढ़ाने के लिए तैयार हुए। उन्होंने अप्रेल 2023 में सर्वे किया और 10-10 असाक्षरों को पढ़ाने के लिए केंद्र का संचालन शुरु कर दिया।
लोगों को पढऩे के लिए तैयार करना रहा मुश्किल
यहां मुश्किल ये आई कि बहुत सारे लोग पढऩे के लिए तैयार नहीं थे। सभी कुछ न कुछ कारण बताकर पढऩे से जी कतरा जाते। करारा गंज बेटी एंव शिक्षिका कल्पना मुखरैया ने गांव की शिक्षित लड़कियों को तैयार किया। फिर गोपाल सोनी कल्पना मुखरैया ने अक्षर साथियों रीना सेन, कुरेशा बानो, मांडवी सोनी क्षमा मुखरैया, खुशी सिंह, पुष्पा सेन चंद्रभान कुशवाहा, चतुर यादव, अनुराधा मुखरैया इनके साथ मिलकर गांव में लोगों से मिले बातचीत की। उन्हें साक्षरता कार्यक्रम के बारे में बताया गया साथ ही पढऩे के लिए जागरूक किया गया। गांव में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा प्रभावित हुई और केंद्र पर उनकी संख्या ज्यादा दिखाई दी। सभी अक्षर साथी पूरी लगन और मेहनत के साथ काम किया और उसका रिजल्ट भी हमें देखने को मिला।
चेतना केंद्रों पर मिल रही ये सुविधाएं
इन केंद्रों के संचालन के लिए आवश्यक सामग्री लाइट, पंखे, पेयजल और बैठक व्यवस्था कराई जा रही है। साथ ही शाला एवं सामाजिक चेतना केंद्र में उपलब्ध रोलर बोर्ड, स्लेट, बत्ती, चाक, डस्टर, शब्द और चार्ट आदि की व्यवस्था एवं मॉनिटरिंग नोडल अधिकारी व शाला प्रभारी को दी गई है। नोडल अधिकारी व शाला प्रभारी की जवाबदारी है कि 2011 की जनगणना के अनुसार असाक्षरों एवं अक्षर साथियों का चिह्नांकन कराते हुए असाक्षर पंजी रजिस्टर को अद्यतन कराएं और उन्हें सामाजिक चेतना केंद ्रसे जोड़े। जिला पंचायत सीईओ तपस्या परिहार के आदेश पर जिले के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के शिक्षकों ने गांव-गांव अभियान चलाकर असाक्षरों को चिह्नित किया है। इसके पहले बैच में 68 हजार 581 असाक्षरों को साक्षर साक्षर किया गया है।
इनका कहना है
साक्षर हो रहे लोगों की परीक्षा उनके गांव और कस्बा के स्कूल में परीक्षा ली गई। परीक्षा पास कर असाक्षर साक्षर बन गए हैं।
शिवेंद्र कुमार निगम, जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी
Published on:
14 Apr 2024 11:19 am
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