20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

छतरपुर

चार साल बाद हुए टेंडर, लेकिन खोले नहीं गए, लांउड्री का नहीं मिल रहा लाभ

40 लाख खर्च हुए लेकिन चाल साल बाद भी शुरु नही हो सकी जिला अस्पताल की लाउंड्री

Google source verification

छतरपुर. जिला अस्पताल प्रतिदिन बड़ी मात्रा में निकलने वाले बैड की चादरेंं आदि कपड़ों को साफ करने में अभी दो-तीन दिनों को समय लगा रहा है। जिसके लिए जिला अस्पताल परिसर में आधुनिक लॉन्ड्री भवन तैयार किया गया है। लेकिन धीरे-धीरे चार साल गुजरने के बाद भी लॉन्ड्री शुरु नहीं हो सकी है। अभी तक ट्रैंडर प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी। जिससे जिला अस्पताल की मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री का सपना अभी अधूरा है और मरीजों को समय से साफ और स्वच्छ चादर आदि नहीं मिल पा रहे हैं।

वर्ष 2019 में छतरपुर में भी जिला अस्पताल को मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री (आधुनिक मशीन) की सौगात मिली थी। जिसके लिए जिला अस्पताल में जोरशोर से कार्य किया गया और इसके लिए टैंडर प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकी। लॉन्ड्री के लिए भवन करीब 35 सौ वर्गफीट में सिविल सर्जन कार्यालय के बगल में तैयार किया गया। इसमें करीब 40 लाख का खर्च हुआ है। भवन में कुल 7 कमरे, एक हाल, शौचालय आदि बनाए गए हैं। इसमें एक कमरा प्रेस के लिए, एक स्टाफ के लिए, रजिस्ट्रशन के लिए, एक में गंदे कपड़े छांटने की व्यवस्था की जानी थी। एक कमरा डिपार्टमेंट के अनुसार रखे जाएंगें और डिस्टीव्यूशन के लिए व हाल में कपड़े धुले जाएंगे। लेकिन चार साल गुजरने के बाद भी अभी विभाग द्वारा इसकी टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं की और अब अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस भवन को विभाग के अन्य कामों के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।

मरीजों को दिए जाने है साफ बिस्तर
जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या अधिक होने और बेड की चादरें आदि एक ओर गंदे होने पर दो तीन दिन लगने से मरीजों को बिना चादर के ही बैड़ में लेटना पड़ रहा है। मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री के शुरू होने से मरीजों को हर दिन साफ चादर आदि मिलेंगे। जिससे मरीजों के स्वास्थ पर भी बेहतर असर होगा। साथ ही अस्पताल में स्वच्छ भी रहेगी।

हर दिन रंगीन चादर बदलने पर भी अमल नहीं
सरकारी अस्पताल में गंदी और बदबूदार चादर मरीज के बिस्तर पर देखने मिलती रही हैं। इसमें सुधार के लिए रंगीन चादरों को हर रोज बदलने की व्यवस्था लागू की गई। जो कुछ दिन तो चली, लेकिन अब यह व्यवस्था भी धराशाई हो गई है। जबकि 300 बिस्तर के हिसाब से 2100 चादरें उपलब्ध कराई गई थीं। सोमवार को गोल्डन यलो, मंगलवार को आसमानी, बुधवार को लाल, गुरुवार को लेमन यलो, शुक्रवार को ब्रिलिएंट रेड, शनिवार को चाकलेट कलर और रविवार को हरा रंग की चादर बिछाई जानी थी।