अंतरराष्ट्रीय मार्केट में हिस्सेदारी बढ़ाने की थी योजना
जिले के ग्रेनाइट को विदेश तक सप्लाई करने की दो साल पहले बनाई गई योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। इसके लिए खजुराहो में स्टोन पार्क में तैयार किया जाना था। जहां ग्रेनाइट कटिंग-पॉलिशिंग इकाइयों के जरिए तैयार ग्रेनाइट को विशाखापट्टनम और कंदला पोर्ट के जरिए अमेरिका, बिट्रेन व सउदी अरब तक निर्यात किया जाता। खदानों के नजदीक ही फिनिशिंग होने से तैयार ग्रेनाइट की लागत में भी कमी आने से अंतरराष्ट्रीय मार्केट की प्रतिस्पर्धा में आगे निकलकर हर साल बढ़ रहे ग्रेनाइट मार्केट में खजुराहो की पहचान बनाने की ये योजना ठंडे बस्ते में है।अभी सप्लाई हो रहे रॉ ब्लॉक
छतरपुर जिले में 47 ग्रेनाइट खदान चिंहित हैं, जिसमें से 4 को छोडकऱ फिलहाल सभी बंद भी है। जिले की खदानों से निकलने वाले ग्रेनाइट के ब्लॉक को अभी राजस्थान के किशनगढ़ भेजा जाता है, जहां से कटिंग व पॉलिशिंग के बाद मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के मार्केट में बेचा जाता है। वहीं, राजस्थान के किशनगढ़ से कंदला पोर्ट के जरिए विदेश तक ग्रेनाइट की सप्लाई हो रही है। छतरपुर से निकले ग्रेनाइट को ट्रकों के जरिए राजस्थान ले जाया जाता है, जहां कटिंग-पॉलिशिंग के बाद अन्य राज्यों में सप्लाई किया जाता है। यहां तक की छतरपुर जिले में भी किशनगढ़ से ही तैयार ग्रेनाइट आ रहा है। इससे ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ जाती है। ऐसे में खजुराहो में स्थापित होने वाले स्टोन पार्क के जरिए तैयार माल सीधे उपभोक्ताओं तक जाने से ट्रांसपोर्ट की लागत कम आएगी।
भारत के ग्रेनाइट को चीन बेचता है विदेशो में
ग्रेनाइट के विश्व बाजार में चीन एक बड़ा सप्लायर है। चीन भारत के ग्रेनाइट ब्लॉक या फिनिशिंग ब्लॉक को खरीदकर दुनिया के देशों में सप्लाई कर रहा है। स्टोन पार्क बनने से न केवल देशी मार्केट को सर्पोट मिलेगा बल्कि चीन के जरिए होने वाले निर्यात को कम कर करके देश से ही सीधे अमेरिका, बिट्रेन, सउदी अरब तक सप्लाई किया जाएगा। विशाखापट्नम पोर्ट से हार्वर पोर्ट तक कम दूरी होने से निर्यात की लागत भी कम आएगी।
खत्म होती चीन की मोनोपॉली
विश्व के मार्केट में तैयार ग्रेनाइट का मार्केट हर साल करीब 20 फीसदी की ग्रोथ कर रहा है। विश्व में चीन स्टोन का सबसे बड़ा आयातक है, जो भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका से रॉ ब्लॉक आयात कर उन्हें तैयार माल के रुप में पूरे विश्व में निर्यात करता है। वर्ष 2006 में चीन की हिस्सेदारी विश्व के निर्यात मार्केट में 23.55 फीसदी थी, जो 2017 में बढकऱ 78.97 फीसदी हो गई। वर्ष 2024 में 83.21 फीसदी हिस्सेदारी बना ली। खजुराहो के स्टोर पार्क में रॉ ग्रेनाइट ब्लॉक की कटिंग और फिनिशिंग के बाद विदेशों में सप्लाई करने से चीन की मोनोपॉली कम की जा सकती है। इसके साथ ही भारत के स्टोन मार्केट को बढ़ाया जा सकता है।
इतनी मिलती है जिले को रॉयल्टी
कोरोना के बावजूद साल 2020-21 में जिले से 94000 घनमीटर ग्रेनाइट निर्यात हुआ था। इसमें शासन को 1000 रुपए प्रति घनमीटर के हिसाब से 9.40 करोड़ की रॉयल्टी मिली। इसी तरह वर्ष 2021-22 में करीब 1.11 लाख घनमीटर ग्रेनाइट का निर्यात किया गया। इसमें 11 करोड़ से अधिक राशि बतौर रॉयल्टी शासन को मिली है। वर्ष 2023-24 में 11 करोड़ का ग्रेनाइट ही निर्यात हो सका। पिछले दो साल से ग्रेनाइट से रॉयल्टी स्थिर है। क्योंकि सप्लाई रूकी हुई है।
अब ये हो रहा प्रयास
भोपाल में तीन दिवसीय माइनिंग कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। इस कॉन्क्लेव में जिले के ग्रेनाइट को प्रेजेंट किया गया। इसके पहले रीजनल कॉन्क्लेव सागर में भी ग्रेनाइट को प्रमोट किया गया। ग्रेनाइट व एम सेंड के लिए 371 करोड़ का एमओयू किया जा रहा है। भोपाल में आने वाले उद्योगपतियो ंको ग्रेनाइट कारोबार और उसमें संभावनाओं को बताकर उन्हें इंवेस्ट करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कारोबारी भी फिनिश ग्रेनाइट तैयार करने के लिए स्टोन पार्क व सुविधाओं की मांग रख चुके हैं। ऐसे में स्टोन पार्क की कवायद फिर से शुरू होने की संभावना है। साथ ही नए ग्रेनाइट उद्योग लगने से कारोबार, रोजगार बढऩे से जिले की आर्थिक संपन्नता के साथ विदेशों में पहचान बढ़ेगी।
वर्ष खनिज से आय 2023-24- 250 करोड़
2022-23 222 करोड़ 2021-22- 210 करोड़
2020-21 198 करोड़ 2019-20 110 करोड़
2018-19 67 करोड़ 2017-18 52 करोड़
इनका कहना है
ग्रेनाइट उद्योग को संदर्भ में रीजनल कॉन्क्लेव में प्रेजेंटेशन और प्रस्ताव आए थे। भोपाल में भी इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है। ग्रेनाइट उद्योग के विस्तार की योजना पर शासन स्तर पर कार्य किया जा रहा है। सारी परिस्थतियां सकारात्मक हैं।