
जिला पुस्तकालय
जिले का एकमात्र सरकारी पुस्तकालय भवन को आधुनिक बनाने के लिए 85 लाख की लागत से भवन निर्माण कराया गया। नया भवन तीन साल पहले शिक्षा विभाग को सुपुर्द कर दिया गया था, लेकिन आज भी पुस्तकालय को उस भवन में शिफ्ट नहीं किया जा सका है। विभाग की इस लापरवाही के कारण भवन और उसकी सुविधाएं खराब हो रही हैं, और आमजन तथा बच्चों को आवश्यक सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।
शिक्षा विभाग की यह लापरवाही पुस्तकालय के संचालन पर असर डाल रही है। पहले जहां 300 से अधिक सदस्य होते थे, अब केवल दो से तीन सदस्य ही पुस्तकालय से किताबें लेने आ रहे हैं। पुराने भवन में साहित्य, उपन्यास, सामान्य ज्ञान की किताबें और बच्चों के लिए शैक्षिक सामग्री उपलब्ध थी, लेकिन वर्तमान जर्जर भवन में ये सुविधाएं भी अपनी हालत में नहीं हैं। बच्चों और महिलाओं के लिए कोई विशेष पुस्तकें और सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। परिणामस्वरूप, युवा पीढ़ी का पुस्तकालय से रुझान घटता जा रहा है। 2024 में केवल सात लोग नए सदस्य बने, जिनमें से दो ने अपनी सदस्यता समाप्त कर दी।
पुस्तकालय का संचालन सुबह 7 बजे से 10 बजे तक और शाम को 5 बजे से 8 बजे तक होता है। लेकिन कर्मचारियों के अनुसार, पुस्तकालय में केवल कुछ लोग पेपर पढऩे के लिए आते हैं, और अन्य समय में कोई भी सदस्य पुस्तक लेने नहीं आता। पुस्तकालय की प्रभारी उर्मिला सेन ने बताया कि नया भवन चुनाव के दौरान मतदान केंद्र के रूप में उपयोग किया गया था और तब नगर पालिका को उसकी चाबी दे दी गई थी। इसके बाद से नगर पालिका ने चाबी वापस नहीं की, जिससे नए भवन की सफाई और अन्य कार्य नहीं हो सके।
इस विषय में, जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को जानकारी दी गई है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही पुस्तकालय को नए भवन में शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि, अब तक विभाग की इस लापरवाही के कारण छतरपुर के नागरिक और विशेष रूप से बच्चे इस महत्वपूर्ण शैक्षिक सुविधा से वंचित हैं। इस स्थिति को लेकर जागरूक नागरिकों और समाज के कई वर्गों ने सवाल उठाए हैं और विभाग से तुरंत सुधार की उम्मीद जताई है। यदि जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो पुस्तकालय का भविष्य खतरे में पड़ सकता है और युवा पीढ़ी का ज्ञान प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बंद हो सकता है।
Published on:
22 Mar 2025 10:28 am
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