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जिले में लगातार बढ़ रही मानसिक बीमार लोगों की संख्या

फिर भी मानसिक बीमार लोगों को नहीं मिल रही स्वास्थ्य सेवाएं, न ही सहायता

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 जिला अस्पताल

जिला अस्पताल

छतरपुर. जिले में तेजी से बढ़ रही मानसिक बीमारियों के लिए कोरोना महामारी ने कोढ़ में खाज का काम किया है। कोविड के बाद से सभी उम्र के लोगों में मानसिक विकार की समस्या बढ़ रहीं है। नतीजा डिप्रेशन और चिंता के मामलों में काफी अधिक इजाफा हुआ है। हर आयु वर्ग में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या बढ़ी है, महिलाएं और युवा इससे ज्यादा पीडि़त हुए हैं। इसमें नौकरी खोने की चिंता, संक्रमण का डर समेत तमाम अनिश्चितताएं लोगों की मानसिक सेहत पर भारी पड़ी। जिसके बाद जिले में इसके लिए उचित इलाज नहीं होने से लोगों की परेशानी और बढ़ रही है।

देश प्रदेश के साथ ही छतरपुर जिले में बढ़ी संख्या में लोग मानसिक बीमारियों अनियंत्रित जुनूनी विकार (ओसीडी) से जूझ रहे हैं और इस समस्या को पहले लोग बदनामी के डर से छिपाए रहते हैं और जब ये समस्या अधिक हो जाती है तो वह इलाज कराते हैं। हालांकि इस तरह की समस्या को अधिकतर लोग पागलपन या भूत प्रेत बाधा का नाम देकर झाडफ़ूंक के चक्कर पड़ जाते हैं। जिससे ओसीडी और बढ़ती जाती है और पीडि़त व्यक्ती धीरे खुद और दूसरों पर हमला करना, आत्महत्या करने की कोशिश करना आदि करने लगता है। जिससे परिजन परेशा हो उठते हैं। ऐसे में कई लोग पीडि़तों को इलाज के लिए स्थानीय और जिला स्तर पर आते हैं, लेकिन उन्हें मात्र दवाई उपलब्ध करा दी जाती है जिससे मरीज को आराम नहीं मिल पा रहा है। ओसीडी में डॉक्टरों द्वारा दवाई के साथ ही काउंसलिंग की भी जरूरत होती है। जो जिला अस्पताल में नहीं होने से लोगों को परेशानी हो रही है।

हालांकि भोपाल एम्स और ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में जाने वाले ऐसे मरीजों को जल्द आराम मिला है। चंदला निवासी भानु अनुरागी, पठापुर निवासी नन्दराम कुशवाहा, पठापुर रोड़ निवासी उमेश पांडेय आदि ने बताया कि उनकी पत्नियों को आसीडी की समस्या हुई, पहले उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया, फिर समस्या अधिक होने पर जिला अस्पताल में इलाज कराया, लेकिन इससे संबंधित काउंसलर नहीं होने से आराम नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने भोपाल एम्स में इलाज कराया जहां आराम लगा है।

वास्तविक दुनिया से कट जाता है मानसिक रोगी

मानसिक रागियों के सेवक संजय शर्मा ने बताया कि जिले में हर ८वां-10वां व्यक्ति किसी न किसी रूप में मानसिक बीमारी से ग्रस्त है। इनमें वृहद अवसादग्रस्तता, एकाग्रता विहीन सक्रियता का विकार, व्यवहार संबंधी विकार (ऑटिज्म) नशीले पदार्थों पर निर्भरता, भय, उन्माद, बहुत चिंता होने का विकार, डिमेंशिया, मिर्गी, मानसिक कष्ट आदि प्रमुख हैं। कारण सामाजिक भी हैं और आनुवंशिक भी हैं। मानसिक रोगी वास्तविक दुनिया से कट जाता है और अपनी ही दुनिया में खोया रहता है।

सकारात्मक सोच से मिलेगी राहत

मानसिक अवसाद केवल तनाव और चिंता से ही नहीं होती। इसमें केमिकल लोचा भी असर करता है। इंसान के शरीर में दो तरह के केमिकल खास भूमिका निभाते हैं। सेरेटोनिन और मोनोमाइनस केमिकल के असंतुलन के कारण भी मानसिक अवसाद हो सकता है। खुद को असुरक्षित-असहाय महसूस करना या अपने प्रति किसी के व्यवहार को नकारात्मक रूप में लेना। व्यक्ति के बचपन के अनुभव, उसके साथ हुआ व्यवहार, पारिवारिक अस्थिरता, सकारात्मक संवाद की कमी, नशे का प्रचलन इत्यादि भी कहीं ना कहीं छोटी-छोटी बातों में गुस्से और चिड़चिड़ेपन का कारण बन जाता है। इस तरह का व्यवहार मानसिक रोग का लक्षण है।

इनका कहना है

जिला अस्पताल में मेंटल हेल्थ क्लीनिक है, वहां पर पदस्थ डॉक्टर द्वारा मानसिक रोगियों का इलाज किया जाता है। फिल हाल एक ही डॉक्टर है वे इलात के साथ साथ काउंसलिंग भी करते हैं।

डॉ. एलएल तिवारी, सीएमएचओ, छतरपुर