21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

छतरपुर

मुआवजा की राह कठिन, इसलिए फसल बीमा से दूर हो रहे किसान

88 फीसदी किसानों ने नहीं कराया बीमा, इधर, बारिश ने खराब कर दी उड़द की फसल

Google source verification

छतरपुर. जिले में फसल बीमा कराने वाले किसानों को मुआवजा में लेटलतीफी, नियम कानून की उड़चने और प्रक्रियागत समस्याओं के चलते किसानों ने फसल बीमा से दूरी बना ली है। जिले में 2 लाख 80 हजार किसान है, लेकिन इस साल खरीफ फसल के लिए 88 फीसदी किसानों ने बीमा नहीं कराया है। जबकि खरीफ की फसल करीब-करीब हर साल अतिवर्षा या बेमौसम बारिश से खराब होती रही है। किसान फसल का नुकसान सह रहा लेकिन बीमा की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो रहा है। चालू खरीफ सीजन के लिए जिले के 33 हजार 673 किसानों ने ही बीमा कराया है। जो कुल किसानों का मात्र 12 फीसदी है।

इस तरह हर साल घट रहे बीमित किसान
किसानों को बीमा के जरिए फसल के नुकसान की भरपाई सके, इसके लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का भले ही संचालन किया जा रहा हो। लेकिन किसान उसमें कोई खास रुचि नहीं ले रहा है। खासतौर पर बीमा का लाभ लेने वालों में ऐसे किसानों की संख्या न के बराबर रही है, जो कृषि के लिए किसी भी तरह का ऋण नहीं लिया करते हैं। विगत वर्षों के आंकड़ों पर यदि नजर डाली जाए, तो साल दर साल किसानों की संख्या में कमी देखी जा रही है। वर्ष 2021-22 के खरीफ सीजन में 53123 और रबी सीजन में ५८०९८ किसानों ने फसल बीमा कराया। वहीं, वर्ष 2022-23 के खरीफ सीजन में किसानों की संख्या घटकर ३४७०६ हो गई। रबी सीजन में उससे भी बुरे हालात हुए और केवल 32449 किसानों ने फसल बीमा कराया। इस साल भी खरीफ में केवल 33 हजार 673 किसानों ने ही बीमा कराया।

बारिश से खराब हो गई उड़द की फसल

लाभ न मिलने से दुखी होकर बीमा से दूर हुए किसान
बीमा योजना में किसानों की अरुचि का कारण लाभ न मिलना माना जा रहा है। न केवल किसान बल्कि अधिकारी भी यह स्वीकार करते हैं कि बीमा की राशि लेने में किसानों को काफी परेशान होना पड़ता है। फसल बीमा की राशि किसानों का सात साल के औसत उत्पादन की दर से निर्धारित होती है, यदि उक्त वर्षों से उत्पादन कम हुआ है तो राशि निर्धारित होती है। दूसरी स्थिति में व्यक्तिगत किसान की शिकायत पर फसल बीमा टीम खेत पर जाकर सर्वे करती है, इसके बाद उसकी बीमित राशि बनती है। हालांकि इस साल हाल ही हुई बारिश को लेकर फसल बीमा की टीमों ने क्षेत्रों में जाकर सर्वे शुरु कर दिया है।

इन उदाहरणों से समझे कितनी मुश्किल डगर है मुआवजा पाने की
वर्ष 2019 में अतिवृष्टि से खराब हुई खरीफ सीजन की सोयाबीन, उड़द की फसल के मुआवजा की राशि अब तक सभी किसानों को नहीं मिल पाई है। वहीं पिछले साल भी जनवरी माह में ओलावृष्टि व अतिवृष्टि से 130 गांवों की फसल 50 फीसदी तक खराब हुई थी, लेकिन सर्वे में 35 फीसदी से कम नुकसान की रिपोर्ट आने से किसान राहत राशि से वंचित हो गए। वहीं, 2022 की रबी फसल की हुई तबाही के नुकसान के सर्वे में भी 35 फीसदी से कम नुकसान होने के चलते मुआवजा से किसान वंचित हो गए।


कांग्रेस सरकार ने स्वीकृति किए थे 278 करोड़
अतिवृष्टि से राहत के लिए जिले के 3 लाख 80 हजार किसानों को 278 करोड़ राहत राशि राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति की गई। लेकिन तंगहाली के चलते तात्कालीन कांग्रेस सरकार ने केवल 25 फीसदी राशि 69 करोड़ ही प्रशासन को बांटन के लिए दिए। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इन 69 करोड़ रुपए की 81 फीसदी राशि ही बांटी गई है, जो महज 2 लाख 80 हजार किसानों के खातों में पहुंच पाई। उसमें से 12.63 करोड़ रुपए किसानों को दो साल बाद भी नहीं बंट पाए हैं। जो ट्रेजरी में अभी तक पड़े हुए हैं।

बारिश से खराब हो गई उड़द की फसल

पिछले साल 18 हजार हेक्टेयर में फसल हुई थी खराब
वर्ष 2022 में जनवरी के दूसरे सप्ताह में छतरपुर जिले के लगभग 130 गांव में ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से फसलों के नुकसान के एवज में मुआवजा का मांग पत्र अबतक शासन को नहीं भेजा गया है। न मुआवजे के संबंध में भी राज्य शासन से अब तक कोई लिखित निर्देश नहीं आया है। जिले में सर्वे टीमों ने 9 तहसीलों के 130 गांवों में 18 हजार 570 हेक्टेयर में फसल का नुकसान मिला । लेकिन फाइनल रिपोर्ट में नुकसान का प्रतिशत 15 से 20 प्रतिशत तक ही रहा। जिससे राहत राशि नहीं मिल पाई।

इनका कहना है
सतत प्रचार-प्रसार किया जाता है, बीमा कंपनी वाले भी किसानों को जागरूक करते हैं, फिर भी किसान रुचि नहीं रहे हैं। जागरुकता पर जोर दिया जाएगा।
बीपी सूत्रकार, उप संचालक कृषि

बारिश से खराब हो गई उड़द की फसल