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जिला अस्पताल में हर दिन अलग रंग की साफ-सुथरी चादरें बिछाने की योजना फेल, मरीजों को नहीं मिल रही बुनियादी सुविधा

अस्पताल में हर दिन एक निर्धारित रंग की चादर बिछाई जानी थी, लेकिन अब हकीकत यह है कि तीन-तीन दिन तक एक ही गंदी चादर बिछी रहती है, तो कहीं चादर होती ही नहीं।

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दो दिन से नहीं बदली गई गंदी चादर, मरीज परेशान

जिला अस्पताल की स्वच्छता व्यवस्था को बेहतर बनाने और मरीजों को साफ-सुथरे वातावरण में इलाज देने के लिए शुरू की गई रंगीन चादर योजना अब अपनी चमक खो चुकी है। योजना के अनुसार अस्पताल में हर दिन एक निर्धारित रंग की चादर बिछाई जानी थी, लेकिन अब हकीकत यह है कि तीन-तीन दिन तक एक ही गंदी चादर बिछी रहती है, तो कहीं चादर होती ही नहीं। हालत यह है कि मरीजों को मजबूर होकर अपने घर से चादरें मंगवानी पड़ रही हैं।

योजना चली कुछ दिन, फिर हो गई ठप


जिला अस्पताल में 300 बिस्तरों के लिए शुरू की गई यह योजना कुछ दिनों तक ठीक से चली। हर दिन रंग-बिरंगी, साफ-सुथरी चादरें वार्डों की रौनक बढ़ाती थीं। लेकिन समय बीतने के साथ स्टाफ की लापरवाही, व्यवस्थागत कमी और निगरानी के अभाव में योजना अब केवल कागज़ों में रह गई है।

मरीजों की शिकायतें, चादर नहीं दी गई, घर से मंगवानी पड़ी


वार्ड में भर्ती मरीज अमान कुशवाहा बताते हैं कि दो दिन से एक ही चादर बिछी है, उसे अभी तक बदला नहीं गया है। खुशबू अग्निहोत्री ने कहा कि उन्हें अस्पताल से कोई चादर नहीं मिली, मजबूरी में घर से चादर मंगानी पड़ी। चंदा पाल ने भी यही कहा कि बेहतर स्वच्छता की उम्मीद लेकर अस्पताल आए थे, लेकिन व्यवस्था देखकर निराशा हुई।

यह तय था हर दिन के लिए रंग


योजना के तहत प्रत्येक दिन वार्डों में अलग-अलग रंग की चादरें बिछाई जानी थीं, ताकि एकरूपता और स्वच्छता दोनों सुनिश्चित हो सके।
सोमवार- गोल्डन येलो
मंगलवार- आसमानी
बुधवार- लाल
गुरुवार- लेमन येलो
शुक्रवार- ब्रिलिएंट रेड
शनिवार- चॉकलेट कलर
रविवार- हरा रंग

लॉन्ड्री भवन: 40 लाख की लागत, फिर भी नतीजा शून्य


सिविल सर्जन कार्यालय के पास बने लॉन्ड्री भवन पर शासन ने 40 लाख रुपए खर्च किए हैं। लगभग 3500 वर्ग फीट क्षेत्र में बने इस भवन में सात कमरे, हॉल, टॉयलेट आदि की सुविधाएं हैं। कपड़े धोने, प्रेस करने, छांटने और रजिस्ट्रेशन के लिए भी अलग-अलग व्यवस्थाएं हैं। तीन कर्मचारी यहां नियुक्त हैं, लेकिन इसके बावजूद अस्पताल में चादरों की कमी बनी रहती है। लॉन्ड्री में गंदे कपड़े समय पर नहीं पहुंचते, नतीजतन मरीजों को गंदे गद्दों पर लेटना पड़ता है।

प्रशासन का जवाब, मिलेगा नोटिस


इस स्थिति पर सिविल सर्जन डॉ. जीएल अहिरवार ने कहा, सभी वार्डों में साफ-सुथरी चादरें, तकिए और कवर देने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। अगर किसी वार्ड में इस प्रकार की लापरवाही हो रही है, तो संबंधित प्रभारी को नोटिस देकर जवाब मांगा जाएगा।