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दम तोड़ रहा चंदेलकालीन तालाब, पुर्नजीवन की योजना पर शुरू नहीं हो सका काम

बायपास पुरानी बस्ती में स्थित पुरातत्व विभाग के आधिपत्य के ननौरा तालाब का नगर परिषद खजुराहो गहरीकरण और सौंदर्यीकरण कराना है। इस कार्य में 2 करोड़ रुपए खर्च होंगे। सौंदर्यीकरण के लिए पुरातत्व विभाग ने मंजूरी भी दे दी है। लेकिन ये काम अभी नहीं हो सका है।

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चंदेलकालीन ननौरा तालाब

छतरपुर. अपने अस्तित्व के लिए जद्दोजहद कर रहे पर्यटन नगरी खजुराहो के चंदेलकालीन ननौरा तालाब के अच्छे दिन अभी तक नहीं आ पाए है। बायपास पुरानी बस्ती में स्थित पुरातत्व विभाग के आधिपत्य के ननौरा तालाब का नगर परिषद खजुराहो गहरीकरण और सौंदर्यीकरण कराना है। इस कार्य में 2 करोड़ रुपए खर्च होंगे। सौंदर्यीकरण के लिए पुरातत्व विभाग ने मंजूरी भी दे दी है। लेकिन ये काम अभी नहीं हो सका है।

रखरखाव नहीं, अतिक्रमण भी समस्या


खजुराहो- राजनगर बायपास से सटा और पुरानी बस्ती में स्थित ननौरा तालाब पुरातत्व विभाग के अधीन है। लेकिन इसका रखरखाव न होने और उपेक्षा के चलते यह चारों ओर से अतिक्रमण की चपेट में आ रहा था। यह तालाब मिट्टी से भर गया था, जल भराव नहीं हो रहा था। कुल मिलाकर इस तालाब का अस्तित्व ही खतरे में आ गया था। पिछले दिनों नगर परिषद खजुराहो ने इसके गहरीकरण व सौंदर्यीकरण की इच्छा जाहिर की।

ये होंगे काम


मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना के तहत तालाब का अधूरा गहरीकरण किया गया है। गहरीकरण के बाद पिचिंग, घाटों का जीर्णोद्धार होगा। आकर्षक लाइटिंग की जाएगी। रेलिंग भी लगाई जाएगी। मिट्टी से भर जाने के कारण तालाब की गहराई खत्म हो गई है, इसलिए इसमें जलभराव नहीं होता। तालाब के बंधान पर पुरानी बस्ती में चंदेलकालीन नीलकंठ मंदिर है। तालाब में भरपूर पानी आ जाने से श्रद्धालु स्नान के बाद भगवान नीलकंठ भोलेनाथ का जलाभिषेक पूजन अर्चन कर सकेंगे। इसके साथ ही पुरानी बस्ती और आसपास क्षेत्र के बोरवेल, हैंडपंप और कुओं का जलस्तर बढ़ जाएगा।

200 मीटर की दूरी पर चंदेलकालीन मंदिर


ननौरा तालाब के पीछे महज करीब 200 मीटर दूरी पर पुरानी बस्ती से लगे हुए चंदेलकालीन बामना और जबारी मंदिर हैं। देशी विदेशी पर्यटक बामना-जवारी मंदिर के लिए इसी ननौरा तालाब के बंधान से होकर होकर ही पहुंचते हैं। बायपास पर लगे खजूर के पेड़ इस तालाब की सुंदरता में चार चांद लगाएंगे।

नगरपरिषद कराएगा काम


खजुराहो सीएमओ वसंत चतुर्वेदी ने बताया कि अभी यह तालाब पूरी तरह से सिलटिड हो गया था। जिससे इसके उथलेपन से इसका पानी जल्द ही सूख जाता था। साथ ही यहां गंदगी हो जाती थी। बस्ती से सटे इस तालाब के पीछे स्थित बामना जबारी मंदिर देखने पर्यटक आते हैं। पुरातत्व विभाग के जबलपुर अधीक्षक डॉ. शिवकांत वाजपेयी ने बताया कि ननौरा तालाब पुरातत्व विभाग के आधिपत्य में है। नगर परिषद ने इसके सौंदर्यीकरण की इच्छा जाहिर की थी, जिस पर हमने उन्हें बाकायदा स्वीकृति प्रदान कर दी है।