
नरसिंहगढ़ पुरवा प्राथमिक स्कूल
छतरपुर. जिले में शिक्षा विभाग द्वारा 629 शासकीय प्राथमिक स्कूल संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें से 64 स्कूलों में बच्चों की संख्या 20 से भी कम है। शासन के नियमानुसार इन स्कूलों को बंद किया जाना चाहिए, लेकिन फिर भी ये स्कूल चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा कुछ स्कूलों में नियमों के विपरीत दो-दो शिक्षक पदस्थ किए गए हैं, जबकि शिक्षा विभाग का यह नियम है कि जब तक छात्र संख्या 40 न हो, एक ही शिक्षक को पदस्थ किया जाए। विभाग के अधिकारी इन स्कूलों को अन्य स्कूलों में विलय करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजने की बात कह रहे हैं।
राजनगर क्षेत्र के झमटुली संकुल अंतर्गत स्थित शासकीय प्राथमिक स्कूलों में भी छात्र संख्या कम होने की समस्या है। इनमें से कुछ स्कूलों में तो नामांकन 10 से भी कम बच्चों का है। उदाहरण के तौर पर रहपुरा और खेड़ीपुरा स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या काफी कम रही है। खेड़ीपुरा स्कूल में भी शिक्षक ने बच्चों की संख्या बढ़ा दी। इसके बावजूद, इन स्कूलों में 2-2 शिक्षक पदस्थ किए गए हैं। छात्र संख्या कम होने का मुद्दा केवल ग्रामीण क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है। जिले के मुख्यालय पर स्थित नरसिंहगढ़ पुरवा के शासकीय प्राथमिक स्कूल में कक्षा 1 से 5 तक सिर्फ 17 बच्चे पढऩे आते हैं, जबकि अनुपस्थित छात्रों की संख्या अधिक है। इसके बाद भी इस स्कूल में 2 शिक्षक पदस्थ हैं, जबकि इस स्कूल को पुराने पन्ना नाका स्थित शासकीय माध्यमिक स्कूल डेरा पहाड़ी में विलय कर दिया जाना चाहिए था।
जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रसुइया ठाकुर स्कूल में कुल 18 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन ये सभी बच्चे कभी स्कूल नहीं आते। वे सभी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करते हैं। इसके बावजूद इस स्कूल में 2 शिक्षक पदस्थ हैं। इसी तरह, बड़ामलहरा क्षेत्र के रानीखेरा शासकीय प्राथमिक स्कूल में कक्षा 1 से 5 तक केवल 6 बच्चे हैं, फिर भी यहां 2 शिक्षक नियुक्त हैं।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि, जिन स्कूलों में छात्र संख्या 20 से कम है, उन्हें पास के स्कूलों में मर्ज करने का प्रस्ताव भेजा गया है। कुछ स्कूलों को मर्ज भी कर दिया गया है, और बाकी स्कूलों को आगामी सत्र में बंद कर दिया जाएगा। डीपीसी, अरुण शंकर पांडेय ने बताया कि, "जिले के जिन प्राथमिक स्कूलों में छात्र संख्या 20 से कम है, उन्हें पास के स्कूलों में मर्ज करने के लिए शिक्षा विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इन स्कूलों को जल्द से जल्द बंद किया जाए ताकि बच्चों की शिक्षा पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।
इस स्थिति को लेकर शिक्षा विभाग और स्थानीय अधिकारियों से कई सवाल उठ रहे हैं। अगर बच्चों की संख्या कम होने के बावजूद स्कूलों को बंद नहीं किया जा रहा है, तो यह न केवल शासन के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सरकारी धन की भी बर्बादी हो रही है। अब यह देखना होगा कि शिक्षा विभाग इस मामले में किस तरह की कार्रवाई करता है।
Published on:
23 Feb 2025 10:39 am
बड़ी खबरें
View Allछतरपुर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
