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पीएम आवास पोर्टल पर नोटरी या स्टाम्प अपलोड का विकल्प नहीं, फिर भी मांग

पंचायतें लाभार्थियों को नोटरी और शपथ पत्र के लिए बाध्य कर रही हैं, जिससे उन्हें 300 से 400 रुपए तक अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है।

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जनपद पंचायत नौगांव

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में घर बनाने का सपना देख रहे लाभार्थियों को पोर्टल के माध्यम से सब्सिडी प्राप्त होने की उम्मीद थी, लेकिन अब उन्हें अतिरिक्त खर्चों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, प्रधानमंत्री आवास योजना के पोर्टल पर नोटरी या स्टाम्प अपलोड करने का कोई विकल्प नहीं होने के बावजूद पंचायतें लाभार्थियों को नोटरी और शपथ पत्र के लिए बाध्य कर रही हैं, जिससे उन्हें 300 से 400 रुपए तक अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है।

पंचायतें बना रही दवाब


ग्रामीण क्षेत्रों में जहां लोग अबतक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपने घरों के निर्माण के लिए पोर्टल पर आवेदन कर चुके थे, वहीं पंचायत द्वारा नोटरी और शपथ पत्र लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जबकि पोर्टल पर इसके लिए कोई स्थान या विकल्प उपलब्ध नहीं है। पंचायतों के अधिकारियों द्वारा हितग्राहियों को नोटरी और शपथ पत्र भरने के निर्देश दिए जा रहे हैं, जिससे उन पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा है।

स्टांप पेपर की कमी और महंगे दाम


नगर के तहसील कार्यालय में जहां पर स्टांप वेंडर बैठते हैं, वहां पर स्टांप पेपर की कमी हो गई है। स्टांप वेंडर हरनारायण माली बताते हैं कि ई-स्टांप के आने के बाद से स्टांप पेपर की उपलब्धता में समस्या उत्पन्न हो गई है। नौगांव की ट्रेजरी बंद हो चुकी है, और अब छतरपुर की ट्रेजरी से स्टांप मिल रहे हैं, जिससे उनकी उपलब्धता कम हो गई है। इसके अलावा, कुछ लोग लेखक का लाइसेंस लेकर महंगे दामों में स्टांप पेपर बेच रहे हैं। इस कारण से ग्रामीण क्षेत्रों में स्टांप खरीदने के लिए बड़ी भीड़ देखी जा रही है।

अधिक खर्च करना पड़ रहा


ग्रामीण क्षेत्रों से आए हितग्राहियों ने बताया कि उन्हें नोटरी और शपथ पत्र के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। स्टांप, कंप्यूटर टाइपिंग और नोटरी शुल्क मिलाकर लगभग 300 से 400 रुपए का खर्च आ रहा है। वहीं, कुछ वेंडर स्टांप की कोई एंट्री नहीं करते और सीधे स्टांप दे देते हैं, जिसके बाद हितग्राही को नोटरी कराने और कागज पर टाइप करवाने का खर्चा भी उठाना पड़ता है।

अनिवार्यता नहीं


प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत किसी भी पोर्टल पर शपथ पत्र की अनिवार्यता नहीं है, और ना ही नोटरी की कोई आवश्यकता है। इसके बावजूद पंचायत द्वारा हितग्राहियों पर अतिरिक्त खर्च का दबाव डाला जा रहा है, जिससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हितग्राही इस खर्च से बचने के लिए सादे कागज पर शपथ पत्र देने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन पंचायत द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

पंचायत अधिकारियों का बयान

इस संबंध में जब जिला पंजीयक संजीव तिवारी से चर्चा की गई, तो उन्होंने कहा कि अगर ट्रेजरी से स्टांप की उपलब्धता में कोई दिक्कत है, तो ग्रामीण क्षेत्र के लोग एप्लीकेशन फॉरवर्ड कर सकते हैं और जिला पंजीयक से स्टांप उपलब्ध करवाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। वहीं, जनपद पंचायत सीईओ डॉ. हरीश केशवानी का कहना है कि स्टांप की कोई अनिवार्यता नहीं है, और सादे कागज पर भी शपथ पत्र भरा जा सकता है।

पत्रिका व्यू


प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को घर मुहैया कराना है, लेकिन इस योजना के तहत लाभार्थियों को जो अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है, वह उनके लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है। सरकारी अधिकारियों को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए और पंचायतों को सही दिशा में मार्गदर्शन देना चाहिए, ताकि ग्रामीणों को योजना का लाभ सरल और सस्ती प्रक्रिया के तहत मिल सके।