
Chhatarpur
छतरपुर। शहर के चौक बाजार पर नौ दिनों तक सजने वाला श्रीराम दरबार इस बार खास आकर्षणों के साथ सजेगा। पिछले 10 सालों से सज रहे इस श्रीराम दरबार का स्वरूप इस बाद भी बदल जाएगा। हर साल से हटकर भगवान की झांकी खास होगी। झांकी का निर्माण इन दिनों चल रहा है। शहर के ही युवा आर्टिस्ट इन प्रतिमाओं को हर साल बनाते हैं। इस बार भगवान श्रीराम और माता सीता को राज सिंहासन पर आशीर्वाद मुद्रा में बैठा दिखाया जाएगा। भगवान के अनन्य भक्त हनुमान जी इस बार प्रार्थना मुद्रा में बैठेंगे। भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण जी सेवा में रहेंगे। यह श्रीराम दरबार इस बार 11 फिट ऊंचा होगा।
चौक बाजार पर श्रीराम के दरबार का पर्दा 18 मार्च को महाआरती के साथ उठेगा। प्रतिदिन रात 8 बजे संगीतमय महाआरती का आयोजन होगा। नवरात्र की पंचमी को श्रीराम दरबार का भव्य श्रृंगार होगा। अष्ठमी पर महाप्रसाद का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही हर दिन भजन-पूजन और अन्य कार्यक्रम चलेंगे। इस साल महोत्सव में खास आकर्षण जोड़ा जा रहा है। प्रतिदिन भारत माता की महाआरती से दरबार का पर्दा उठेगा। गायक प्रमोद तिवारी के मधुर स्वर में ही दोनों आरती होंगी। महोत्सव के दौरान एक दिन बाबू वृंदावन की टीम का मयूर नृत्य प्रस्तुत होगा।
पांच दोस्तों ने 10 साल पहले की थी पहल :
गांधी चौक बाजार पर श्रीराम दरबार रखने की शुरुआत २००७ में हुई थी। शहर में श्रीरामनवमी की शोभायात्रा का महोत्सव २००६ में शुरू हुआ था। इससे प्रभावित होकर चौक बाजार के पांच युवाओं ने कुछ अलग करने की सोची। उन्होंने शहर के युवा आर्टिस्ट दिनेश शर्मा से संपर्क किया। उन्होंने श्रीराम का दरबार सजाने के लिए सुझाव दिया। इस पर पंकज रावत, सुरेश तिवारी, कल्लू मोर, संजू कुचया और अवनीश खरया ने मिलकर आपस में रुपए एकत्र किए और श्रीराम दरबार बनवाना शुरू कर दिया। यह सिलसिला शुरू हुआ तो फिर लगातार आयोजन महोत्सव का रूप लेता चला गया। इसके बाद इस टीम में पवन अग्रवाल पट्टू, पलटू सोनी, अज्जू सोनी, राधेश्याम सोनी, आनंद सोनी, राजाबाबू मातेले, घंसू पंसारी, सुरेंद्र अग्रवाल, आशीष ताम्रकार, मुकेश डबरा, सौरभ अग्रवाल और पियूष अग्रवाल सहित स्थानीय दुकानदारों ने मिलकर समिति बनाई और आयोजन को हर साल भव्य बनाते चले आ रहे हैं।
हर साल अलग-अलग मुद्रा में सजता है दरबार :
चौक बाजार पर श्रीराम दरबार की शुरुआत २००७ में हुई थी। पहले साल भगवान का बैठा हुआ भव्य दरबार सजाया गया था। इसके बाद दूसरी साल रामदरबार में हनुमानजी को भवन करते हुए दिखाया गया था। फिर भगवान को झूला झुलाते हनुमान जी को प्रदर्शित किया गया। भगवान को माला पहनाते भरतजी व हनुमान जी की प्रतिमाएं बनाई गई। इसी तरह सीना फाड़ते हनुमान, सिंदूर लगाते हनुमान, आरती करते हनुमान, कथा सुनाते हनुमान और करताल लेकर भजन करते हनुमान जी व मृदंग बजाते भरत जी की प्रतिमाओं के साथ हर साल अलग-अलग श्रीराम दरबार बनाया गया। मूर्तिकार दिनेश शर्मा बताते हैं कि वे भगवान श्रीराम के स्वरूप को जब बनाते हैं तब अलग तरह की आत्मअनुभूति होती है। भजनों की मधुर ध्वनियों के ईश्वर का अस्तित्व प्रतिमाओं में उतर आता है। नौ दिनों तक उनका पूजन-आरती होने से झांकी में उनका साक्षात स्वरूप उभरकर सामने आ जाता है।
Published on:
16 Mar 2018 01:37 pm
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