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ट्रैफिक सिग्नल वर्षो से खराब, चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस नहीं, वाहनचालक खुद ट्रैफिक बना-बिगाड़ रहे

पन्ना नाका से लेकर बस स्टैंड तक महज तीन किलोमीटर की दूरी में सीइओ बंगला के सामने, चौबे कॉलोनी, स्टेडियम के सामने, कॉलेज तिराहा, छत्रसाल चौक, सर्किट हाउस, किशोर सागर तिराहा, पीएनबी के सामने, चेतगिरी कॉलोनी तिराहा समेत 9 स्थान ऐसे हैं, जहां प्रतिदिन जाम, वाहन भिड़ंत और अव्यवस्था की स्थिति बन रही है।

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chhatarasal chouk

छत्रसाल चौक पर ट्रैफिक जाम

एक शहर की पहचान उसके अनुशासन और व्यवस्था से होती है। छतरपुर तेजी शहरीकरण की ओर बढ़ रहा है, लेकिन यातायात व्यवस्था बदहाल होती जा रही है। स्थिति यह है कि शहर के चार प्रमुख ट्रैफिक सिग्नलों में से तीन वर्षों से खराब पड़े हैं और चौक-चौराहों पर ट्रैफिक जवानों की अनुपस्थिति से स्थिति हर दिन और बिगड़ रही है। पन्ना नाका से लेकर बस स्टैंड तक महज तीन किलोमीटर की दूरी में सीइओ बंगला के सामने, चौबे कॉलोनी, स्टेडियम के सामने, कॉलेज तिराहा, छत्रसाल चौक, सर्किट हाउस, किशोर सागर तिराहा, पीएनबी के सामने, चेतगिरी कॉलोनी तिराहा समेत 9 स्थान ऐसे हैं, जहां प्रतिदिन जाम, वाहन भिड़ंत और अव्यवस्था की स्थिति बन रही है।

एक ही सिग्नल पर टिकी उम्मीदें

वर्ष 2014 में शहर के प्रमुख चार चौराहों फव्वारा चौक, पन्ना नाका, छत्रसाल चौराहा और आकाशवाणी तिराहा पर ट्रैफिक सिग्नल 45 लाख की लागत से लगाए गए थे। इनमें से सिर्फ आकाशवाणी तिराहा पर ही सिग्नल काम कर रहा है। बाकी तीन चौराहों पर तकनीकी खराबी या देखरेख के अभाव में सिग्नल निष्क्रिय हो चुके हैं। यही वजह है कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था एक गंभीर संकट में फंसी है।

सडक़ पर अनियंत्रित ट्रैफिक, कोई दिशा नहीं

पन्ना नाका पर दिनभर भारी वाहनों का जमावड़ा रहता है। सटई रोड और स्टेडियम रोड से आने वाले वाहन अक्सर पन्ना रोड के ट्रैफिक से टकराते हैं। सुबह 11.15 बजे का नजारा देखिए—हर ओर हॉर्न, धक्का-मुक्की और अनियंत्रित वाहन। यहां न कोई ट्रैफिक सिग्नल चालू है, न कोई पुलिसकर्मी नजर आता है। महाराजा कॉलेज चौराहा की स्थिति भी इससे अलग नहीं। डाकघर, पुलिस लाइन और सनसिटी से आ रहे वाहन यहां एक-दूसरे में उलझते रहते हैं। यह चौक शिक्षा का केंद्र होने के साथ ही ट्रैफिक का बड़ा संकट भी बन गया है। यहां सुबह 11.35 बजे हर दिशा से आने वाली गाडिय़ों की टक्कर की स्थिति बनी रही।

आकाशवाणी तिराहा बना उम्मीद की किरण

दोपहर 12 बजे जब आकाशवाणी तिराहे पर नजर डालते हैं, तो वहां अनुशासन और नियंत्रण की तस्वीर उभरती है। सिग्नल काम कर रहा है, ट्रैफिक जवान मौजूद हैं और वाहन चालक रेड-ग्रीन लाइट का पालन करते नजर आते हैं। यही वह एक उदाहरण है जिससे यह उम्मीद की जा सकती है कि अगर बाकी सिग्नलों को दुरुस्त किया जाए, तो छतरपुर की रफ्तार और भी बेहतर हो सकती है।

नागरिकों की भी है बड़ी भूमिका

यातायात व्यवस्था केवल शासन और प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है। नागरिकों को भी लाल बत्ती पार करना, गलत दिशा में वाहन चलाना, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी जैसे कार्यों से बचना चाहिए। शहर का हर नागरिक अगर जागरूक हो, तो व्यवस्था अपने आप सुधरती है।

अब जरूरी है 'यातायात सुधार अभियान'

शहर में यातायात सुधार के लिए व्यापक अभियान चलाने की ज़रूरत है, जिसमें

-बंद पड़े सिग्नलों की मरम्मत-नए ट्रैफिक प्वाइंट्स की पहचान

-ट्रैफिक पुलिस की संख्या में वृद्धि-ट्रैफिक वॉलंटियर की नियुक्ति

-लोगों में यातायात नियमों की जागरूकताये है प्रशासन का दावा

बृहस्पति साकेत प्रभारी, यातायात थाना ने कहा हमारे पास बल की कमी थी लेकिन अब बल मिल रहा है। जल्द ही पन्ना नाका, महाराजा कॉलेज और अन्य प्वाइंट्स पर ट्रैफिक सुधार के प्रयास शुरू किए जाएंगे। साप्ताहिक बाजार के दिन व्यवस्था लागू की गई है। इसे विस्तारित किया जा रहा है।