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 कागजों में चल रहा जलसंरक्षण, पांच वर्षों में नहीं रुका एक बूंद पानी, चेक डैम बना भ्रष्टाचार का नमूना

65 ग्राम पंचायतों में से 38 पंचायतों में बीते पांच वर्षों में 84 स्टॉप डैम बनाए गए थे। इनमें दोनी, गिलौहा, खपटया, सूरजपुर, बछौन, मिडक़ा, देवनगर, राजापुर जैसे गांव भी शामिल हैं। लेकिन अधिकतर डैम स्थल चयन की त्रुटियों, खराब निर्माण सामग्री और तकनीकी लापरवाही के कारण बेकार साबित हुए हैं।

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बारिश में बह गया पुरवा बम्होरी का चेक डेम

छतरपुर. प्रदेश सरकार द्वारा जल संरक्षण के लिए बनाए गए चेक डैम अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते नजर आ रहे हैं। ग्राम पंचायत पुरवा बम्होरी के संलग्न ग्राम दशरथ पुरवा में वर्ष 2020-21 में लगभग 14.99 लाख रुपए की लागत से बने एक चेक डैम ने बीते पांच वर्षों में एक बूंद पानी भी नहीं रोका जा सका है। योजना के तहत किए गए काम शासकीय धन की बर्बादी प्रतीत हो रहे हैं।

निर्माण के कुछ महीनों बाद ही चेक डैम हुआ क्षतिग्रस्त

स्थानीय ग्रामीणों राजबहादुर अहिरवार, राजाभैया प्रजापति, राजेश साहू, लक्ष्मी यादव, विजय सिंह यादव आदि ने बताया कि चेक डैम का निर्माण कार्य तत्कालीन सरपंच हीरा देवी अहिरवार द्वारा कराया गया था। निर्माण कार्य की गुणवत्ता इतनी खराब रही कि कुछ महीनों के भीतर ही विंगवॉल दरककर टुकड़े-टुकड़े हो गए और डैम में जगह-जगह दरारें आ गईं। इससे पानी रोकने का मूल उद्देश्य ही विफल हो गया। ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण में रत्तीभर भी गुणवत्ता नहीं बरती गई और चेक डैम केवल कागजों पर सफल रहा। इसके चलते बारिश का पानी पूरी तरह बह गया और आसपास के इलाके का जलस्तर बढऩे की कोई संभावना नहीं बन सकी।

हरद्वार पंचायत का भी यही हाल

हरद्वार ग्राम पंचायत में लवकुशनगर-महोबा मुख्य मार्ग पर बने एक अन्य चेक डैम में भी भीषण गर्मी के इस सीजन में एक बूंद पानी नहीं है। यहां भी 14.99 लाख रुपये खर्च हुए, लेकिन जल संरक्षण का कोई लाभ नहीं मिला। ग्रामीणों का कहना है कि स्टॉप डैम स्थल का चयन गलत तरीके से किया गया, जिससे पानी रुकने की संभावना पहले से ही नगण्य थी।

लवकुशनगर की 38 ग्राम पंचायतों में बनाए गए थे 84 स्टॉप डैम

लवकुशनगर जनपद की 65 ग्राम पंचायतों में से 38 पंचायतों में बीते पांच वर्षों में 84 स्टॉप डैम बनाए गए थे। इनमें दोनी, गिलौहा, खपटया, सूरजपुर, बछौन, मिडक़ा, देवनगर, राजापुर जैसे गांव भी शामिल हैं। लेकिन अधिकतर डैम स्थल चयन की त्रुटियों, खराब निर्माण सामग्री और तकनीकी लापरवाही के कारण बेकार साबित हुए हैं।

ग्रामीणों ने उठाई कार्रवाई की मांग

इस मामले में ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि लाखों रुपये खर्च कर केवल दिखावे के चेक डैम बनाए गए और अब इनसे न तो क्षेत्र का जलस्तर बढ़ा, न ही किसान और ग्रामीणों को किसी तरह का लाभ मिला।

प्रशासन ने कही जांच की बात

इस संबंध में सहायक यंत्री बीके रिछारिया ने बताया कि, चेक डैमों की जांच पूर्व में कराई गई थी, लेकिन अब नई जानकारी मिलने पर एक बार फिर से जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

पत्रिका व्यू

लवकुशनगर जनपद के चेक डैमों का मामला साफ दर्शाता है कि सरकारी योजनाएं केवल कागजों पर सफल हो रही हैं, जबकि जमीनी स्तर पर उनका लाभ शून्य है। यदि समय रहते गंभीर जांच और सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय भी भ्रष्टाचार की दलदल में धंसते चले जाएंगे। ग्रामीणों की उम्मीदें अब प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं।