दिलीप के पिता डेढ़ एकड़ की असिंचित कृषि भूमि से अपने परिवार का बमुश्किल भरण पोषण कर पाते थे। गुजारे के लिए उन्होंने भैंस भी पाल रखी थी, जिसे दिलीप ने अपनी हायर सेकंडरी की पढ़ाई पूरी करने तक चराने का काम भी किया। समय व्यर्थ न जाए तो उस दौरान भी अपनी एक कॉपी साथ रखते थे। दिलीप ने कभी कोई ट्यूशन नहीं लिया। कभी कोई कोचिंग नहीं ली, स्वाध्याय के बल पर कई सफलताएं हासिल की।
पहली कक्षा से एमए अंग्रेजी तक में टॉप
दिलीप को कॉलेज में पढ़ाने वाले प्रोफेसर अमर सिंह ने बताया कि दिलीप ने पहली कक्षा से लेकर एमए अंग्रेजी तक में टॉप बिना कोचिंग के किया है। अंग्रेजी में नेट, एपीसेट, एमपी टेट एवं केंद्र सरकार की सीटीईटी जैसी शिक्षक परीक्षाओं को पास ही नहीं किया वरन प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग में मेरिट सूची में प्रथम स्थान हासिल किया है। दिलीप ने पीजी कॉलेज में अंग्रेजी विभाग के पूर्व छात्र के रूप में पढ़ाई की है। अंग्रेजी में हाथ तंग होने के बावजूद कड़ी मेहनत से स्नातक एवं परास्नातक परीक्षा में सफलता हासिल की। इसमें अमर सिंह, तृप्ति मिश्रा, दीप्ति जैन, जीबी डेहरिया, सुरेंद्र कुमार झारिया आदि प्रोफसरों का सहयोग रहा।