एनएसयूआई ने उठाई जांच की मांग, कहा- निराकरण न हुआ तो होगा उग्र आंदोलन
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितता व धांधली के आरोप लगाए गए हैं। कुलपति के पुत्र से लेकर गल्र्स कॉलेज में पदस्थ कुछ कर्मचारी के नाम भी सूची में आने पर कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। राज्यपाल के नाम ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए एनएसयूआई जिलाध्यक्ष अजय ठाकुर, छिंदवाड़ा विधानसभा अध्यक्ष समर्थ मैद, नगर अध्यक्ष सत्येन्द्र अहिरवार ने कहा कि विवि के कुलसचिव द्वारा विद्यार्थियों के साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है, जिस पर तत्काल रोक लगाई जाए।
एनएसयूआई के अनुसार विगत दिनों सम्पन्न हुई पीएचडी प्रवेश परीक्षा एवं साक्षात्कार के उपरांत जारी की गई अंतिम सूची में शामिल नामों को लेकर कई तरह के प्रश्न विद्यार्थियों की ओर से उठाए जा रहे हैं। जो विद्यार्थी साक्षात्कार में सम्मिलित नहीं हुए, उनका नाम भी अंतिम सूची में पीएचडी के लिए प्रकाशित किया जाना अपने-आप में गम्भीर अनियमितता की श्रेणी में आता है। एनएसयूआई ने प्रवेश परीक्षा व साक्षात्कार पर आपत्ति दर्ज कराते हुए पीएचडी को लेकर अब तक विवि स्तर पर की गई सम्पूर्ण क्रियाकलापों की विशेष जांच कर सम्पूर्ण तथ्यों को उजागर करने की मांग की है।
भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन राजा शंकरशाह विवि के कुल सचिव को सौंपा है। ज्ञापन में अनियमितताओं के साथ ही बरती गई लापरवाही का भी खुलासा किया है। ज्ञापन में उल्लेख किया है कि जिन विद्यार्थियों ने डीईटी परीक्षा नहीं दी, साक्षात्कार में उन विद्यार्थियों का नाम कैसे आया, यह गम्भीर मिलीभगत है। डीईटी की परीक्षा के उपरांत आपत्ति लगाने के लिए जो समय उम्मीदवारों को नियमानुसार दिया जाता है, वह नहीं दिया गया। आरएसी कमेटी से बिना पास हुए शोध निदेशक की सूची प्रकाशित होना भी घोर लापरवाही की
श्रेणी में आता है।
एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं के दल ने ज्ञापन में जो बिंदु उठाए हैं, उनका जवाब मैं उन्हें दे चुका हूं। जहां तक मेरे पुत्र के नाम आने का सवाल है, उन्हें भी शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है।
-डॉ. इंद्रप्रसाद त्रिपाठी, कुलपति, राजा शंकर शाह विवि छिंदवाड़ा