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कोयला खदानों को नहीं मिली मंजूरी

कोयलांचल के पेंच एवं कन्हान क्षेत्र की चार कोयला खदानों में विभिन्न कारणों से उत्पादन बंद है। अधिकांश खदानों में बडी संख्या में कर्मचारियों को बिना काम के वेतन देना पड़ रहा है। पहले से घाटा झेल रहे पेंच कन्हान की हालत और बदतर होती जा रही है। परासिया तथा जुन्नारदेव विधानसभा क्षेत्र में यह मुद्दा जोर पकडने लगा है।

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Coal mines did not get approval

छिंदवाड़ा/परासिया. कोयलांचल के पेंच एवं कन्हान क्षेत्र की चार कोयला खदानों में विभिन्न कारणों से उत्पादन
बंद है। अधिकांश खदानों में बडी संख्या में कर्मचारियों को बिना काम के वेतन देना पड़ रहा है। पहले से घाटा झेल रहे पेंच कन्हान की हालत और बदतर होती जा रही है। परासिया तथा जुन्नारदेव विधानसभा क्षेत्र में यह मुद्दा जोर पक डने लगा है। दोनों विधानसभा क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में कोयला खदानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। खदानों का शुरू होना और बंद होना यहां बड़ा राजनीतिक मुददा रहा है। पेंच की उरधन खदान असुरक्षित उत्खनन के कारण डिप्टी डायरेक्टर माइंस सेफ्टी के आदेश से अस्थाई रूप से बंद कर दी गई है। कन्हान की तांसी, मोआरी खदान, पेेंच की महादेवपुरी खदान में वन एवं पर्यावरण विभाग की आपत्ति के कारण खनन बंद है। पिछले दिनों सभी श्रम संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर खदानों को अनापत्ति दिलाने के लिए चरणबद्व आंदोलन किया।बाइक रैली से यहां के कामगार जिला मुख्यालय पहुंचे व कलेक्टर के माध्यम से कोयला मंत्री को ज्ञापन भेजा गया। राजनेताओं ने भी मुख्यमंत्री से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक अपनी बात पहुंचाई, लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला है। गत दिनों एक संगठन ने 30 अक्टूबर तक अनापत्ति मिलने की बात कही थी। बड़े नेताओं ने भी अनापत्ति दिलाने का भरोसा दिलाया ,लेकिन अभी तक अनापत्ति नहीं मिलने से आम लोगों में निराशा है।