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सिंगल यूज डिस्पोजल और पॉलीथिन पर नहीं हो सकी ठोस कार्रवाई

शहरी कचरे में हर दिन पांच टन प्लास्टिक, वैवाहिक कार्यक्रम में ज्यादा

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Kachra

कचरे में मौजूद पॉलीथिन का हिस्सा।

सिंगल यूज डिस्पोजल और प्लास्टिक पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। ऐसा कोई घर नहीं होगा, जहां कचरा में इसका हिस्सा नहीं होगा। कचरा संग्रहण में हर दिन शहरी कचरे में मौजूद करीब पांच टन प्लास्टिक को रोकने नगर निगम और प्रशासन के प्रयास रंग नहीं ला पाए हैं।


प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जानकारी के मुताबिक प्लास्टिक से बनी कुछ चीजों पर पहले से ही प्रतिबंध लागू है। इनमें 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग, थैलियों के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर रोक शामिल है। इसके अलावा एक जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, स्टॉक, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है। उसमें प्लास्टिक से बनी वो स्टिक (डंडी) भी शामिल हैं, जो गुब्बारे, ईयर बड, आइसक्रीम, कैंडी में इस्तेमाल होती हैं। प्लास्टिक के कप, गिलास, चम्मच, कांटे, चाकू, स्ट्रॉ और प्लास्टिक या पीवीसी से बने 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले बैनर पर भी रोक लगाई गई है।


इस प्रतिबंध के बावजूद बाजार में भी सिंगल यूज डिस्पोजल, प्लास्टिक-पॉलीथिन आधारित सामग्री तेजी से बिक रही है। नगर निगम के कर्मचारी ज्यादा दबाव आने पर औपचारिकता वश सीमित कार्रवाई कर देते हैं। ये सिंगल यूज डिस्पोजल व प्लास्टिक सामग्री कहां से आ रही है, इसके स्रोत का पता नहीं लगा पाए हैं। नगर निगम के कचरा प्लांट में हर दिन पांच टन कचरा अकेला पॉलीथिन-प्लास्टिक का है। गांवों में भी इसे जहां-तहां पड़े देखा जा सकता है।

ठंडी पड़ी मुहिम

छह साल पहले नगर निगम के 48 वार्ड में हर स्व-सहायता समूहों को बर्तन दिए गए थे। उसके बाद ये व्यवस्था साल-दो साल चली। फिर सिंगल यूज डिस्पोजल प्रभावी हो गए। कपड़ों के थैलों की बिक्री से भी पॉलीथिन को हतोत्साहित किया गया। अधिकारियों के जाते ही इसका उपयोग और बढ़ गया है।