
छिंदवाड़ा.बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और खान-पान में सुधार से जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या में गिरावट आई है। पहले ये बच्चे तीन हजार के आसपास थे, अब ये बच्चे केवल 1833 शेष रह गए हैं। महिला बाल विकास विभाग का दावा है कि बेहतर स्वास्थ्य और खान-पान में सुधार से ही कुपोषित बच्चे अपेक्षाकृत कम हुए हैं। इसे रोकने के लिए पोषण क्लीनिक और पोषण पथ कार्ड भी सहायक हुए हैं।
महिला बाल विकास विभाग के अनुसार डेढ़ दशक पहले अलग-अलग श्रेणी मेें कुपोषित बच्चों की संख्या 6 हजार से ज्यादा था। आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से सांझा चूल्हा भोजन से बच्चों को नाश्ता-भोजन देना शुरू किया गया। फिर दूसरी समस्या बालिकाओं और महिलाओं की एनीमिया की थी। जिस पर भी ध्यान देना शुरू किया गया। फिर कमजोर आर्थिक हालात से गरीब परिवारों में खान-पान की दिक्कत थी। इसके लिए सरकार ने लाड़़ली बहना योजना के तहत हर माह महिलाओं को मासिक राशि देनी शुरू की। इसके अलावा मातृ-शिशु मृत्य दर में कमी लाने पर फोकस किया। इसके अलावा हाल ही में हर उपस्वास्थ्य केन्द्र में पोषण क्लीनिक शुरू किए गए। महिलाओं और छोटे शिशुओं की जांच, स्वास्थ्य और दवाइयों के दिए जाने से हालात सुधरते गए। अब कुपोषित बच्चों की संख्या 3 हजार से गिरकर 1833 रह गई है। भविष्य में महिलाओं और शिशुओं के स्वास्थ्य और खान-पान में सुधार जारी रहा तो ये संख्या और गिर सकती है।
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महिला व शिशु मृत्यु दर में भी आई कमी
कुछ माह पहले तक महिला और शिशु मृत्यु दर में वृद्धि हो रही थी। इस पर कलेक्टर ने संबंधित बीएमओ पर सख्त कार्रवाई की। उन्हें नोटिस जारी किए और फटकार लगाई। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान फोकस किया। इसके चलते महिला और शिशु मृत्यु दर में गिरावट आई है।
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इनका कहना है…
जिले में बेहतर स्वास्थ्य और खान-पान में सुधार होने से कुपोषित बच्चों की संख्या तीन हजार से कम होकर 1833 रह गई है। इसके साथ ही महिला और शिशु मृत्यु दर में भी कमी आई है।
-मोनिका बिसेन, महिला बाल विकास अधिकारी।
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Published on:
05 Feb 2025 12:05 pm
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