
Devrani Dai is developing as a tourist destination
छिन्दवाड़ा/परासिया. परासिया से 25 किमी दूर देवरानी के जंगलों में प्रकृति ने सौंदर्य का अद्भुत संसार रचा है। वृक्षों के झुरमुटों के बीच कलकल करता झरना, चट्टानों का अनुपम सौंदर्य, वनदेवी के मंदिर की घंटियां एक अलग ही अहसास कराती है। घने जंगलों के बीच प्रकृति के कैनवास पर कुदरत की चित्रकारी को देखने के लिए पगारा से आठ किमी दूर सेमरताल होते हुए तुरसी ग्राम के इस भाग में पहुंचा जा सकता है। कार्तिक पूर्णिमा के बाद लगने वाले मेले में आसपास क्षेत्रों के आदिवासी भक्त बड़ी संख्या में देवरानी दाई स्थित वनदेवी के मंदिर में पूजा अर्चना करने आ रहे हैं। आदिवासी बहुल तीतरा डुंगरिया क्षेत्र में घटामाली नदी के किनारे सुरम्य पहाड़ी वादियों के बीच स्थित धार्मिक स्थल देवरानी दाई में पांच दिवसीय मेला कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हो गया है। पिपरिया मुख्य मार्ग पर अनखावाड़ी से पूर्व दिशा में 10 किमी दूर घटामाली नदी पर यह धार्मिक स्थल मनोहारी एवं प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है। देवरानी जेठानी की दंत कथाओं पर आधारित इस धार्मिक स्थल पर बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्रित होते हैं। झरने के रूप में नदी का बहता कल-कल करता जल सौंदर्य एवं हरियाली से लदी पहाडिय़ां बरबस लोगों को आकर्षित करती हैं। यह स्थान धीरे-धीरे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। इस मेले में प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस स्थान की आस्था एवं धार्मिक महत्व बढऩे से जिले के बाहर के श्रद्धालु शामिल होते हंै। भक्तगण घटामाली नदी में स्नान कर मां देवरानी दाई की पूजा अर्चना कर अपनी मन्नत मांगते हैं। विशाल जस गायन प्रतियोगिता का आयोजन रविवार को किया गया तथा देवी जागरण एवं झांकी प्रदर्शन मंगलवार को है। देवरानी दाई का इतिहास आजादी से जुड़ा हुआ है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान छिंदवाड़ा ट्रेजरी पर हमले की रणनीति इन्हीं जंगलों में बनाई गई थी। प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बादलभोई देवरानी तट के समीप के गांव डुंगरिया तीतरा के निवासी थी। देवरानी दाई स्थित झरने के पीछे बादलभोई की गुफा है। माना जाता है कि आजादी की लड़ाई के दीवाने यहीं बैठकर अपनी रणनीति बनाते थे।
Published on:
15 Nov 2022 10:37 pm
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