scriptरासायनिक खाद के ज्यादा उपयोग से प्राकृतिक स्वाद से फीकी नजर आ रही अनाज-सब्जियां | Due to excessive use of chemical fertilizers, grains and vegetables are losing their natural taste | Patrika News
छिंदवाड़ा

रासायनिक खाद के ज्यादा उपयोग से प्राकृतिक स्वाद से फीकी नजर आ रही अनाज-सब्जियां

-छिंदवाड़ा, मोहखेड़, बिछुआ समेत आसपास के इलाकों में मुश्किल हो रहा जैविक अनाज-सब्जियां खोजना

छिंदवाड़ाJun 10, 2025 / 12:04 pm

manohar soni

किसान के माथे पर सलवट: 65 फीसदी बुवाई, बारिश नहीं आई

किसान के माथे पर सलवट: 65 फीसदी बुवाई, बारिश नहीं आई

रासायनिक खाद के अत्यधिक उपयोग से अनाज-सब्जियां प्राकृतिक स्वाद से फीकी नजर आ रही है। छिंदवाड़ा, मोहखेड़, बिछुआ, अमरवाड़ा समेत आसपास के इलाकों में जैविक सब्जियां-अनाज खोजना मुश्किल नजर आ रहा है। हालत यह है कि मांग आपूर्ति में संतुलन बनाने किसान निर्धारित एक हेक्टेयर में दो बोरी खाद की बजाय चार बोरी खाद का इस्तेमाल कर रहे है। इस वजह से कोई भी गोभी, पत्तागोभी, टमाटर, शिमला मिर्च में प्राकृतिक स्वाद नहीं मिल पाता है।

सेहत के प्रति फ्रिकमंद आम आदमी बाजार में जब थैला लेकर पहुंचता है तो उसकी पहली पसंद जैविक अनाज और सब्जियां ही होती है। खेती में रासायनिक खाद के अत्याधिक इस्तेमाल से जैसे-जैसे अपचन, गैस, कैंसर की बीमारियां सामने आ रही है,वैसे-वैसे खान-पान का पुराना ट्रेंड वापस लौट रहा है। सरकार भी प्राकृतिक खेती को बढ़ाने का लक्ष्य तय कर रही है।

४ लाख हेक्टेयर से अधिक खेती का रकबा

देखा जाए तो जिले में खरीफ और रबी सीजन में करीब ४ लाख हैक्टेयर में अनाज और सब्जियां हो रही है। जिससे छिंदवाड़ा-पांढुर्ना की २३.७४ लाख की आबादी भरण-पोषण कर रही है। खेती में यह चिंताजनक है कि फसल उत्पादन में रासायनिक खाद का इस्तेमाल पहले की अपेक्षा तीन गुना बढ़ गया है। इस खरीफ सीजन में किसानों ने २.२० लाख मीट्रिक टन यूरिया समेत अन्य रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया।

कुछ हिस्सा प्राकृतिक खेती का लक्ष्य

इससे समझा जा सकता है कि रासायनिक खाद से उत्पन्न कितना जहरीला अनाज और सब्जियां हम खा रहे हैं। इसके चलते सरकार को इस साल सरकार को १६ सौ हैक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य तय करना पड़ा। हालांकि प्राकृतिक खेती अभी भी दिल्ली दूर की तरह है लेकिन बदलाव के चरण समाज में दिखने लगे हैं। वह भी तब, जब संसाधन विहीन आदिवासियों और प्रगतिशील किसानों की जैविक खाद से उत्पन्न अनाज और सब्जियां सेहतमंद लोगों की पसंद बनती जा रही है।

पातालकोट समेत आदिवासी अंचल में सेहतमंद अनाज

जिले में ३७ फीसदी आबादी आदिवासी है। छिंदवाड़ा से लेकर तामिया, जुन्नारदेव, बिछुआ, अमरवाड़ा, हर्रई, परासिया और पांढुर्ना में निवासरत ये लोग सदियों से कोदो कुटकी, जगनी समेत अन्य अनाज और सब्जियां बिना रासायनिक खाद के उत्पन्न कर रहे हैं। इससे उनकी सेहत दूसरे वर्ग की तुलना में बेहतर रही है। एक अनुमान के अनुसार में जिले में प्राकृतिक और जैविक खेती का गैर सरकारी आंकड़ा ४५ हजार हैक्टेयर है।

इनका कहना है….

खेती में रासायनिक खाद के अंधाधुंध उपयोग का दुष्परिणाम मानव स्वास्थ्य पर पड़ा है। अनाज, सब्जियों की गुणवत्ता प्रभावित होने से गैस, पाचन समस्या और कैंसर जैसे रोग पनप रहे हैं। अब किसानों को इससे सबक लेकर प्राकृतिक खेती का मंत्र अपनाना होगा।
-मेरसिंह चौधरी, मंत्री भारतीय किसान संघ

…..
कृषि विभाग प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने की नीति पर काम कर रहा है। इस बार रबी सीजन में २ हैक्टेयर का लक्ष्य तय किया गया है। इससे गुणवत्तायुक्त अनाज और सब्जियां प्राप्त होंगी।
सरिता सिंह प्रभारी उपसंचालक कृषि

Hindi News / Chhindwara / रासायनिक खाद के ज्यादा उपयोग से प्राकृतिक स्वाद से फीकी नजर आ रही अनाज-सब्जियां

ट्रेंडिंग वीडियो