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Education: पारदर्शिता लाने के लिए लागू की ऑनलाइन व्यवस्था, विद्यार्थियों के लिए ही बन गई सिरदर्द

अकादमिक कलैंडर का ही पालन नहीं कर पा रहा है।

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admission process in colleges

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छिंदवाड़ा. कॉलेजों में लगभग डेढ़ माह बाद भी शैक्षणिक व्यवस्था पटरी पर नहीं लौट पाई है। ऐसे में सत्र विलंब से चलेगा। समय पर न तो परीक्षा आयोजित हो पाएगी और न ही परिणाम जारी हो सकेगा। हैरानी की बात यह है कि उच्च शिक्षा विभाग खुद के बनाए गए अकादमिक कलैंडर का ही पालन नहीं कर पा रहा है। विभाग ने सत्र 2022-23 के लिए जो अकादमिक कैलेंडर जारी किए थे उसके अनुसार 17 मई से प्रवेश प्रारंभ, 1 जुलाई से शिक्षण कार्य प्रारंभ हो जाना चाहिए था। अगस्त के प्रथम सप्ताह में प्रवेश उत्सव कार्यक्रम एवं 14 अगस्त तक स्थानांतरण प्रकरणों को छोडकऱ अन्य सभी प्रवेश बंद किए जाने हैं। कॉलेजों में समय से शिक्षण कार्य तो प्रारंभ हुआ है, लेकिन रफ्तार काफी धीमे है। विद्यार्थियों का कहना है कि अध्यापन के नाम पर केवल औपचारिकता पूरी की जा रही है। इसके पीछे वजह यह है कि उच्च शिक्षा विभाग ने अभी कॉलेजों में स्नातक, स्नातकोत्तर में सत्र 2022-23 में दाखिला प्रक्रिया पूरी नहीं की है। वर्तमान में सीएलसी पांचवां चरण आयोजित हो रहा है। ऐसे में कई प्राध्यापकों एवं स्टॉफ की ड्यूटी प्रवेश प्रक्रिया के कार्य में लगी हुई है। कुछ प्राध्यापक पढ़ाने आते हैं लेकिन वे भी खानापूर्ति कर रहे हैं। उनका कहना है कि सभी विद्यार्थियों के प्रवेश के बाद पढ़ाई सुचारू रूप से होगी।

अगस्त में होना था छात्रसंघ गठन
उच्च शिक्षा विभाग से जारी शैक्षणिक कैलेंडर के अनुसार अगस्त एवं सितंबर माह में छात्रसंघ गठन की प्रक्रिया भी पूरी की जानी है। इसके अलावा अक्टूबर माह तक विश्वविद्यालयीन, महाविद्यालयीन, जिला, संभाग, राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता, युवा उत्सव, दीक्षान्त समारोह एवं अन्य गतिविधियां भी संपन्न की जानी है। लेकिन वर्तमान में कैलेंडर के अनुसार गतिविधियां पूरी होती नहीं दिख रही हैं। तीन से चार माह हर गतिविधि में देरी होगी।


पिछले वर्ष नवंबर तक चली थी प्रक्रिया
उच्च शिक्षा विभाग ने सत्र 2021-22 में भी कॉलेजों में ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया आयोजित की थी। नवंबर माह में प्रक्रिया हुई। ऐसे में शैक्षणिक सत्र विलंब से चला। विद्यार्थियों का अध्यापन प्रभावित हुआ। परीक्षाएं भी लगभग छह माह देरी से हुईं। इस बार ऐसी स्थिति निर्मित न हो इसके लिए विभाग ने जून माह में प्रवेश प्रक्रिया शुरु कर दी थी, जिससे उम्मीद थी कि शैक्षणिक सत्र समय से चलेगा।


ऑफलाइन व्यवस्था ही थी अच्छी
उच्च शिक्षा विभाग ने लगभग 8 वर्ष पहले दाखिला प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था लागू की थी। हालांकि इससे विद्यार्थियों को बहुत अधिक फायदा नहीं हुआ। ऑनलाइन व्यवस्था में आवेदक विद्यार्थियों का पैसा और समय दोनों खर्च हो रहा है। इसके अलावा लंबी प्रवेश प्रक्रिया चलने से कॉलेजों में अन्य व्यवस्थाएं भी प्रभावित हो रही हैं। हां यह फायदा जरूर हुआ कि वे छिंदवाड़ा में भी बैठक इंदौर, भोपाल के शासकीय कॉलेज में दाखिले के लिए आवेदन कर सकते हैं।


इनका कहना है...
लंबी प्रवेश प्रक्रिया की वजह से अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है। उच्च शिक्षा विभाग की आगामी बैठक में यह मुद्दा उठाऊंगा। समय पर प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने से आगामी गतिविधियां भी समय पर चलेंगी।
डॉ. अमिताभ पांडे, प्राचार्य, लीड कॉलेज, छिंदवाड़ा