छिंदवाड़ा .पिछले वर्ष तक रबी और खरीफ के मौसम में खाद को लेकर मची अफरा-तफरी इस वर्ष नहीं दिख रही है। खरीफ का महत्वपूर्ण समय अभी बाकी है जिसमें खेतों में अनाजों को बाढ़ के लिए यूरिया, पोटाश सहित अन्य खाद की जरूरत पड़ती है। बावजूद इसके रबी के इस सीजन में खाद को लेकर कोई गदर नहीं मची। यूरिया तो पिछले वर्ष की अपेक्षा लगभग सात हजार मीट्रिक कम उठा है। यही हाल पोटाश का है। डीएपी और एनपीके को दिए गए लक्ष्य से भी ज्यादा गोदामों में रखे हुए हैं। विपणन संघ से मिली जानकारी के अनुसार यूरिया की रैक अभी और आनी है और जिले में खाद की कोई कमी किसानों को नहीं है। सहकारी समितियों में भी इसका भंडारण मांग के अनुसार कर दिया गया है। जिले में किसान यूरिया और पोटाश की मांग सबसे ज्यादा करते हैं।
पहले ही लेकर नहीं रख रहे खाद
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीते वर्ष तक किसान जरूरत के पहले ही खाद खरीद कर रख लेते थे। अब आसानी से उपलब्धता के कारण जब जरूरत पड़ रही है किसान खाद उठा रहे हैं। कृषि विभाग के एसडीओ धीरज ठाकुर का कहना है कि गेहूं की फसल को पानी की जरूरत के बाद खाद देने की जरूरत पड़ेगी। तब खाद का उठाव ज्यादा होगा। इधर खाद-बीज व्यापारियों का कहना है कि नोटबंदी का असर भी इस बार देखा गया है। नवम्बर के बाद पिछले तीन महीने में किसानों के एेसे हालात ही नहीं थे कि वे खाद खरीद सकें।
पिछले वर्ष से मांग कम
पिछले वर्ष इस तारीख तक 20 हजार 876 मीट्रिक टन यूरिया का उठाव विपणन संघ के गोदामों से हो चुका था, लेकिन इस वर्ष सिर्फ 13 हजार 391 मीट्रिक टन का उठाव हुआ है। पिछले सीजन में 31 हजार 500 मीट्रिक टन का भंडारण भी यूरिया का हो चुका था। इस सीजन में अब तक 16 हजार 500 टन यूरिया आया है। अभी इसकी और रैक आना बाकी है।