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Hartalika Teej: तीज और गणेश चतुर्थी की तिथि पर मतभेद खत्म, अब इस तरह होगी पूजा

द्वितीया-तृतीया का पूजन निषेध इसलिए तृतीया-चतुर्थी के दिन पूजा

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Hartalika Teej

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छिंदवाड़ा/ हरितालिका तीज और गणेश चतुर्थी के दिन और पूजन मूहुर्त को लेकर इस बार उहापोह की स्थिति बन रही है। इस दौरान विद्वान पुरोहितों ने कई पंचांगों और शास्त्र सम्मत विधि के अनुसार सोमवार दो सितम्बर को ही हरितालिका पूजा और गणेश स्थापना को सही माना है। ध्यान रहे सौभाग्यवती स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य रक्षा के लिए तो कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर प्राप्ति के लिए हरितालिका तीज का व्रत और पूजन करती हैं। इस वर्ष हरितालिका तीज के दिन ही गणेश चतुर्थी आ जाने के कारण जहां तीज का व्रत रख जाएगा तो दो सितम्बर को घर-घर में रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान श्रीगणेश की स्थापना भी होगी। व्रत और स्थापना पूजन किस दिन किया जाए इसको लेकर चर्चाएं चल रहीं हैं।
इस सम्बंध में बात करने पर पंडित दिनेश द्विवेदी ने बताया कि हरितालिका तीज व्रत और भगवान गणेश का चतुर्थी व्रत पूजन और स्थापना एक ही दिन करना सही है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अनुसार तृतीया का व्रत द्वितीया युक्त नहीं किया जाता जबकि तृतीया का व्रत चतुर्थी युक्त करना श्रेष्ठ बताया गया है। ध्यान रहे गत दिवस शहर में ब्राह्मणों की संस्था ने भी एक बैठक कर दो सितम्बर को ही दोनों धार्मिक व्रत, आयोजन करने पर सहमति दी थी। पंडित सुशील तिवारी ने बताया कि हरितालिका के दिन सुबह तिथि रहने तक पहली पूजा कर शिव-पार्वती की स्थापना कर दी जाए। उसके बाद दिनभर व्रत रखा जा सकता है। गणेशजी की स्थापना के बाद रात में हरितालिका की अन्य पूजा और धार्मिक कार्यक्रम किए जा सकते हैं।
यह है तिथियों का समय
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में हरितालिका सहित अन्य विशेष व्रत पूजन होंगे। तीसरी तिथि को हरितालिका पूजा और चतुर्थी को गणेश स्थापना होनी है। पंचांग के अनुसार एक सितम्बर रविवार को सुबह 11.15 बजे तक द्वितीया तिथि है। इसके बाद तृतीया तिथि लग जाएगी जो दो सितम्बर सोमवार को सुबह आठ बजकर 54 मिनट तक है। पुरोहितों का कहना है शास्त्रों के अनुसार दूज और तीज एक साथ होने पर पूजा नहीं करनी चाहिए। तृतीया की चतुर्थी के साथ पूजा श्रेष्ठ है। दो सितम्बर सोमवार को सुबह 8.55 पर चतुर्थी लग जाएगी जो तीन सितम्बर मंगलवार को सुबह 6.45 बजे तक ही है। उसके बाद पंचमी लग जाएगी। सोमवार को सुबह नौ बजे के पहले हरितालिका की पहली पूजा शुरू करने के बाद यह व्रत किया जा सकता है। इसी दिन दोपहर को भगवान गणेश की स्थापना भी की जा सकेगी।