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Legal or illegal: जानिए आखिर क्यों कॉलोनियां कहलाती हैं अवैध

- अवैध कॉलोनियों का जाल - एक एकड़ जमीन का 50 लाख तक विकास शुल्क- इसलिए वैध कॉलोनी बनाने से बचते हैं व्यवसायी

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Know why colonies are called illegal

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छिंदवाड़ा। एक एकड़ जमीन में वैध कॉलोनी बनाने पर नगर निगम को विकास शुल्क समेत अन्य प्रभार के 50 लाख रुपए देने पड़ते हैं। इस राशि से बचने के लिए प्रॉपर्टी व्यवसायी और कॉलोनाइजर सीधे खेत मालिक के नाम पर प्लॉट की रजिस्ट्री करते हैं। इससे मोटा मुनाफा खुद कमा रहे हैं। कहीं फंसने की बारी आती है तो सारी जिम्मेदारी खेत मालिक पर डाल कर साफ बच निकलते हैं।

निगम की जानकारी के अनुसार इस समय नगर निगम में शामिल 24 गांवों में अवैध कॉलोनियों के निर्माण में तेजी आई है। इसके आधा दर्जन मामले पकड़े गए हैं। इन केस के परीक्षण में पाया गया कि वैध कॉलोनी के निर्माण में नगर निगम को विकास शुल्क, आश्रय शुल्क, गरीब परिवारों को प्लॉट न देने पर आश्रय शुल्क के साथ मूलभूत सुविधाओं का सुपरविजन चार्ज देना पड़ता है। तब प्रॉपर्टी व्यवसायियों को वैध कॉलोनी बनाने की अनुमति मिलती है। इस प्रक्रिया में एक एकड़ में कम से कम 50 लाख रुपए लग जाते हैं। यदि रकबा बढ़ा तो इससे अधिक राशि का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस राशि को न देने के चक्कर में प्रॉपर्टी व्यवसायी निगम क्षेत्र के आसपास के खेतों को अवैध कॉलोनी बना रहे हैं। इससे केवल समस्याएं ही जन्म ले रही है।


ग्रीन जोन के इलाकों में भी अवैध कॉलोनी

निगम के परीक्षण में पाया गया कि नगर एवं ग्राम निवेश विभाग द्वारा पारित मास्टर प्लान-2035 में किसी भी ग्रीन जोन की जमीन में वैध कॉलोनी या मकान बनाने की अनुमति का प्रावधान नहीं है। ये भूमि कृषि की मानी जाती है। कॉलोनाइजर इस नियम का भी उल्लंघन कर रहे हैं। ग्रीन जोन में भी प्लॉट काट कर बेच रहे हैं। खरीदार भी इन सभी नियमों के विपरीत जाकर खरीदी कर रहे हैं। यह भविष्य में उनके लिए संकट है।

नोटिस नहीं, सीधे जेल पहुंचाना होगा
कहा जा रहा है कि अभी तक नगर निगम की ओर से अवैध कॉलोनाइजर्स या खेत मालिक को नोटिस दे दिया जाता है। फिर कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली जाती है। यदि नगर निगम के अधिकारी ऐसे व्यक्तियों को पुलिस में एफआईआर के माध्यम से जेल भेजने का इंतजाम करें तभी इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाई जा सकती है।


राजस्व-निगम का संयुक्त दल बनाकर होगी कार्रवाई
अवैध कॉलोनाइजरों पर कार्रवाई करने के लिए एक दिन पहले प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों के बीच बैठक हुई थी। बैठक में संयुक्त दल बनाकर कार्रवाई करने की सहमति बनी। संयुक्त दल अवैध कॉलोनियों के दस्तावेजों का परीक्षण करने के बाद एफआईआर की कार्रवाई करेगा। निगम उपायुक्त ईश्वर सिंह चंदेली ने बताया कि जल्द ही मैदानी अमला कार्रवाई करने निकलेगा।