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भगवान ने भक्त के लिए त्यागे थे 56 भोग

भगवान भाव का भूखा होता है, इसलिए दुर्योधन के महल के 56 प्रकार के व्यंजनों को त्यागकर विदुर के झोपड़ी में भोजन करतें हैं।

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शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा श्रीमद् भागवत कथा व नवधा रामायण, भक्ति में मस्त हैं श्रद्धालु, देखिए झलकियां

भगवान ने भक्त के लिए त्यागे थे 56 भोग
मोहगांव हवेली. भगवान भाव का भूखा होता है, इसलिए दुर्योधन के महल के 56 प्रकार के व्यंजनों को त्यागकर विदुर के झोपड़ी में भोजन करतें हैं। यह बात भागवत कथाकार मुन्ना महाराज ने श्रीकृष्ण- विदुर प्रसंग सुनाते हुए कहे।
अर्ध नारीश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मोहगांव हवेली में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के आज तृतीय दिन की कथा में कथाप्रवक्ता मुन्ना महाराज ने श्रीकृष्ण विदुर प्रसंग का वर्णन सुनाया। इस दौरान विदुर की पत्नी एवं श्रीकृष्ण संवाद में श्रोताओं की आंखों में छलक पड़े। महाराजश्री ने कहा कि हम कलयुगी इंसान धन कमाने में व्यस्त हैं। जब तक हमारा निधन नहीं होता तब तक हम धन के पीछे भागते हैं। उन्होंने हिरण्यकश्यप- ध्रृव की कहानी सुनाते हुए नरसिंह अवतार का महात्म्य सुनाया। नरसिंह अवतार की सुंदर झांकी का चित्रण श्रोताओं का आकर्षण रहा। रविवार 9 दिसंबर तक प्रतिदिन सुबह 11 बजे से 3 बजे तक मुन्ना महाराज इनके मुखारविंद श्रीमद् भागवत कथा होगी और सोमवार 10 दिसंबर को समापन होगा।
भागवत का एक श्लोक बदल देगा हमारा जीवन
पांढुर्ना . भागवत पुराण का यदि एक श्लोक हमारी समझ में आ जाए तो वह हमारे जीवन का कल्याण कर सकता है। कथा को हमें पूरे मनोयोग से श्रवण करना चाहिए तथा आत्मचिंतन करना चाहिए। भागवत पुराण एक ऐसा कल्पवृक्ष है इससे हम जो भी मागेंगे वो हमें अवश्य मिलेगा। जिसे कुछ भी नहीं चाहिए उसे ये भागवत मोक्ष प्रदान करती है। यह बात साक्षी निधि ने भक्तों को छठवें दिन की कथा में सुनाई। इस दौरान कृष्ण-रुक्मिणी का विवाह प्रसंग भी सुनाया।
कथा प्रसंग को प्रारंभ करते हुए देवी जी ने कहा कि जिंदगी जब तक रहेगी फुर्सत न होगी। कुछ वक्त ऐसा निकालो और भगवान से प्रेम करो। जो व्यक्ति इस सांसारिक मोहमाया से मुक्त होकर भक्ति करते हैं वह भक्त प्रभु को प्यारे होते हैं।
अपनी किसी भी वस्तु पर अभिमान करने से पहले हमें यह सोच लेना चाहिए कि भगवान अभिमान वाली वस्तु को हम से दूर कर देते हैं। जैसे कि उद्धव जी को अपनी विद्धवता पर बड़ा ही अभिमान था तब भगवान ने उन को ब्रज में भेजा और जब उद्धव जी मथुरा से चले तो वृन्दावन निकट आया वहीं से प्रेम ने अपना अनोखा रंग दिखलाया। लिपट कर वस्त्र में कांटे लगे उद्धव को समझाने तुम्हारा ज्ञान पर्दा फाड़ दें हम प्रेम दीवाने। उद्धव जी जब ब्रज पहुंचे तो गोपियों ने प्रेम की भाषा समझाई।