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सदियों से यहां लॉकर में बंद हैं आत्माएं, मोक्ष दिलवाने वाले का है इंतजार

शहर के मोक्षधाम में कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता जब यहां कोई चिता नहीं जलती हो। औसतन दो शवों का अंतिम संस्कार यहां हर दिन किया जाता है।

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Prashant Sahare

Jan 16, 2017

moksha dham in chhindwara

chhindwara

छिंदवाड़ा. शहर के मोक्षधाम में कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता जब यहां कोई चिता नहीं जलती हो। औसतन दो शवों का अंतिम संस्कार यहां हर दिन किया जाता है। अंतिम संस्कार के बाद अगले दिन अस्थियां जुटाई जाती हैं। इन अस्थियों को मटकी में भरकर सफेद, लाल या पीले कपड़े से बंद कर देते हैं। इसके बाद इन्हें मोक्षधाम के लॉकर में रख दिया जाता हैं।

दशकर्म-तेरहवीं क्रिया-कर्म के बाद परिजन आते हैं और इन अस्थियों को ले जाते हैं ताकि इनका विजर्सन किसी नदी या सरोवर में कर मृत आत्मा को मोक्ष दिला सकें। लेकिन मोक्षधाम के लॉकर में कई अस्थिकलश ऐसे हैं जिन्हें लेने वर्षों से कोई नहीं आया। अब इनमें बंद आत्माएं वर्षों से मोक्ष के लिए अपनों का इंतजार कर रही हैं।


दरअसल मोक्षधाम में अस्थियां रखने के लिए कुछ समाजसेवियों द्वारा लॉकर रखे गए हैं। चिता की आग ठंडी होने के बाद अगले दिन अस्थियां निकालकर उसे मटके में बंद कर यहां रख दिया जाता है। इनकी पहचान भी सुनिश्चित की जाती है ताकि इन अस्थियों को सम्बंधित परिजन ले जा सकें। वहीं ज्यादातर परिजन लॉकर की चाबी अपने ही साथ ले जाते हैं। लेकिन परिजन के न आने पर भी यहां मौजूद कर्मी भी इन अस्थियों का विसर्जन नहीं कर पाते।


तो हो जाएगी मुसीबत
अब इन लॉकरों को तोड़कर भी अस्थियों का विसर्जन किया जाए तो आत्माओं को मुक्ति मिलें लेकिन बाद में यदि परिजन अस्थियों की मांग करने लगें तो मुसीबत खड़ी जो जाएगी। इस स्थिति में कलश में बंद आत्माओं को भी तब तक मोक्ष नहीं मिल पाता जब तक कि उनका कोई अपना इन अस्थियों का विसर्जन न करें। मोक्षधाम की देखरेख करने वाले बताते हैं कि आदिवासी क्षेत्र के कई ऐसे मामले हैं जिनमें आज तक कोई भी अस्थियां लेने नहीं पहुंचा।

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