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Pandit pradeep mishra: कथावाचक पं प्रदीप मिश्रा की यह बात कभी नहीं होगी सुनी, कथा में कही यह बड़ी बात

सिमरिया में शिवमहापुराण कथा का हुआ शुभारंभ

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Pandit pradeep mishra: कथावाचक पं प्रदीप मिश्रा की यह बात कभी नहीं होगी सुनी, कथा में कही यह बड़ी बात

Pandit pradeep mishra: कथावाचक पं प्रदीप मिश्रा की यह बात कभी नहीं होगी सुनी, कथा में कही यह बड़ी बात

छिंदवाड़ा.आप छिंदवाड़ा एवं आसपास के पूरे क्षेत्र में घूमकर आइए, जिले के चारों दिशाओं में घूमकर आइए। यहां सबसे अधिक भगवान भोलेनाथ का मंदिर ही मिलेगा। शिवलिंग और प्राचीन शिवालय मिलेगा। छिंदवाड़ा के कण-कण में शंकर समाहित हैं। यह बातें सोमवार को प्रसिद्ध कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने सिमरिया में आयोजित श्री सोलह सोमवार शिवमहापुराण कथा के दौरान कही। कहा कि सरकारी भवन बनाने के लिए राजनेता को सरकार चुनती है, लेकिन जो भगवान का मंदिर बनाता है उसे स्वयं भगवान ही चुनते हैं। पांच दिवसीय कथा के पहले दिन का प्रारंभ पूजन अर्चन से किया गया। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ एवं सांसद नकुलनाथ मौजूद रहे। कथावाचक ने कहा कि छिंदवाड़ा की पवित्र भूमि पर बहुत विशालतम मंदिर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बनवाया है। यह उनके माता-पिता का संस्कार और भगवान का आशीर्वाद है। जिस वजह से यह छिंदवाड़ावासियों को प्राप्त हुआ है। कथावाचक ने कहा कि जिसको जनता चुनती है वह संसद में बैठता है, जिसे मेरा भोलानाथ चुनता है वह सत्संग में बैठता है। कथावाचक ने सभी से अपील कि की वे कथा का लाभ लेकर अपना जीवन धन्य बनाएं। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर की दया जब तक न हो तब तक कुछ मिलना मुश्किल है। उन्होंने उपस्थित जनों से कहा कि जैसे-जैसे आप शिव में उतरते जाएंगे वे करीब आते चले जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारे शरीर में चलने वाली श्वास ही शिव हैं। अगर शरीर में से शिव रूपी श्वास निकलकर बाहर चला जाता है तो शव कहलाता है। उन्होंने भगवान शिव का गुणगान किया। कहा कि हम सभी भाग्यशाली हैं कि भादो माह में हमें कथा सुनने को मिल रही है। भादो माह में भगवान बलराम, भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। राधा-राधी का जन्म, भगवान गणेश का जन्म हुआ था। भादो माह में भक्ति का एक तत्व निश्चित होता है। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा हरि और हर एवं शिव और शक्ति की भूमि है। ऐसी भूमि पर हम कथा का श्रवण करने बैठे हैं। आरती के पश्चात पहले दिन की कथा का समापन हुआ। कथा का श्रवण करने हजारों की संख्या में शिवभक्त मौजूद रहे। मंगलवार को दोपहर एक से चार बजे तक सोलह सोमवार शिवमहापुराण कथा के दूसरे दिन का वाचन किया जाएगा।


भजनों ने मोहा मन
कथा के दौरान भागवत भूषण मिश्रा ने अपने सुमधुर कंठ से प्रस्तुत भजनों से समस्त भक्तजनों को झुमने पर विवश किया। विशेषकर प्रस्तुत भजन ‘कर दिया माला-माल काशी वाले ने, लुटा दिया संसार काशी वाले ने’ उपस्थित जनसमुदाय का मन मोह लिया।


जिंदगी में हमें मिलते हैं चार शिक्षक
कथावाचक ने कहा कि हम सबको जीवन में चार गुरु मितले हैं। पहला माता, दूसरा पिता, तीसरा शिक्षक और चौथा सतगुरु होते हैं। माता हर पल, हर घड़ी, हर क्षण सतमार्ग दिखाती है। आइना दिखाने का काम भी मां करती है। बेटे को उन्नति की सीढ़ी पर बढ़ाने का काम भी मां करती है। पिता दूसरे नंबर का शिक्षक होता है जो बेटे को पथ पर चलना सिखाता है। सतमार्ग पर चलना सिखाता है। तीसरे नंबर शिक्षक होता है जो हमारी प्राथमिकता में हमें पढऩा सिखाता है, हमें जनमानस में कैसे जिंदगी जीना है वह सीखाता है। चौथे नंबर का गुरु सद्गुरु है जो अपने शिष्य को सतमार्ग की ओर लेकर छोड़ दे। कथावाचक ने कहा कि देवाधिदेव को गुरु का पद् दिया गया है। माता पार्वती ने भगवान शंकर को गुरु कहा है। श्रीमद् भागवत में कई जगह भोले को गुरु संबोधन से संबोधित किया गया है।


सोलह सोमवार की बताई महिला
कथावाचक ने सोलह सोमवार के विधान की विस्तृत रूप से व्याख्या पौराणिक कथा के माध्यम से की। उन्होंने कहा कि कर्म के अनुसार अपनी जिंदगी को जीना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब आप पुण्य, सतकर्म या फिर भगवत स्मरण करने जाते हैं या फिर महादेव का नाम लेने बैठते हैं तब ही भोले जीवन का कल्याण करना प्रारंभ करते हैं। शीतल वर्षा प्रारंभ करते हैं। उन्होंने कई प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया।