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एवरेस्ट के शिखर से बेटी ने पिता को मैसेज भेजकर पेश की मिसाल

पिता ने पत्रिका से शेयर की बात

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छिंदवाड़ा/तामिया. यहां (एवरेस्ट) पहुंचने पर जो खुशी मुझे मिली मैं उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। यह खुशी धरती के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंचने की सोच से भी कहीं ज्यादा है। अगर मैं मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव की मध्यम वर्ग परिवार की लडक़ी माउंट एवरेस्ट फतह कर सकती हूं तो मेरा संदेश देश की लड़कियों को है कि किसी भी क्षेत्र में अगर वे दृढ़ निश्चय करें तो जीतना सम्भव है। हार न मानने की जिद और मेरी पसंद ही मुझे इस मुकाम पर ले कर आई। मैं तामिया जिला छिंदवाड़ा की रहने वाली हूं और मेरे पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। मेरी मां सोशल वर्कर हैं। जिस तरह मेरे माता पिता ने मुझ पर विश्वास किया उसी तरह बाकी पैरेंट्स भी अपने बच्चों की इच्छा को समझेंगे और उनका साथ देंगे। ये बातें भावना ने 22 मई को एवरेस्ट फतह करने के बाद अपने पिता को भेजे मैसेज में लिखीं थीं। उनके पिता ने यह बातें पत्रिका से शेयर की।

मैं वापस नहीं लौटना चाहती थी
चढ़ाई के दौरान जब मैं बेस कैंप-4 में थी तब मेरा ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर लीक करने लगा था। मैं डेढ़ घंटे लीकेज वाली जगह को पकड़ कर बैठी रही थी। भावना ने बताया कि टीम के पास एक्स्ट्रा रेगुलेटर नहीं था। शेरपा ने कहा कि हमें कैंप-4 में लौटना पड़ सकता है। मेरे लिए यह कठिन समय था और मैं वापस नहीं लौटना चाहती थी। शेरपा के काफी कहने पर भी मैंने हार नहीं मानी और उसी लीकेज के साथ आगे का सफर जारी रखने का फैसला किया। मेरी बात सुनकर शेरपा ने मुझे अपना रेगुलेटर दिया और दूसरे ग्रुप के साथ आगे जाने को कहा। सिलेंडर भी खाली होने लगा था। मैंने इस सिचुएशन में ऑक्सीजन सिलेंडर का वॉल्व आधा ओपन रखा, जिससे मैं शिखर तक पहुंच सकी, इसी बीच शेरपा ने इसे ठीक किया।

फिर से आना चाहूंगी यहां
शिखर पर मैंने भारत का तिरंगा और मध्यप्रदेश के ध्वज के साथ तस्वीर ली और प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को धन्यवाद दिया जिनके सहयोग से में यहां तक आ सकी। भविष्य में यदि अवसर मिला तो मैं फिर से यहां आना चाहूंगी, लेकिन उससे पहले दुनिया के कुछ और शिखर भी मेरी लिस्ट में शामिल हैं।

शिखर पर गिर पड़ी, परिवार की फोटो ने बढ़ाया हौसला... भावना ने बताया कि फोटो लेते हुए अचानक गिर पढ़ी, मेरा ऑक्सीजन सिलेंडर खाली हो चुका था। शेरपा ने उसको रिप्लेस किया। परिवार की तस्वीर जो मेरे पास थी उसे देखा, फिर सम्भली।