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फसलों के लिए बरस रहा अमृत

जाता मानसून लगा रहा झड़ी... मानसून अब जिले से विदा लेने को तैयार है। इस बीच जाते मानसून की झड़ी खरीफ फसलों के लिए अमृत साबित हो रही है।

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Sandeep Chawrey

Sep 14, 2016

160 mm of rain fell in less than a year ago

Proclamation of the good monsoon, 160 mm of rain fell in less than a year ago

छिंदवाड़ा. मानसून अब जिले से विदा लेने को तैयार है। इस बीच जाते मानसून की झड़ी खरीफ फसलों के लिए अमृत साबित हो रही है। पिछले तीन दिनों से बन रहे कम दबाव के क्षेत्र के बाद मंगलवार दोपहर को लगभग 20 मिनिट शहर में तेज बारिश हुई। जिले के कई क्षेत्रों में ये बारिश होने के समाचार मिले हैं। जिले में गुरुवार और शुक्रवार को और बारिश होने का अनुमान लगाया जा रहा है। कृषि जानकारों ने बताया कि सिंतबर में फसलों के लिए कम से कम 60 मिमी बारिश की जरूरत आंकी जाती है। मंगलवार को पूरे जिले में 25 मिमी बारिश होने के समाचार मिले हैं।

कहीं हल्की बारिश हुई तो कहीं तेज पानी बरसने के समाचार है जो फसलों को आखिरी पानी के लिए आवश्यक होता है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो मानसून अब जाने को तैयार है और एेसे में यह बारिश खरीफ की लगी हर फसल के लिए बेहद फायदेमंद है। सितंबर में अब फल रही फसलों को एक पानी की और जरूरत थी जो कि पूरी हो रही है।

हालांकि इस बार बारिश अभी अपने औसत आंकड़े को भी नहीं छू पाई है। 14 सितंबर तक जिले में 878.9 मिमी बारिश रिकार्ड हुई है जबकि पिछले साल इस दिन तक 885.47 मिमी पानी बरसा था। भूअभिलेख के रिकार्ड के अनुसार जिले में औसत बारिश का आंकड़ा 1059 मिमी है। इधर कृषि अनुसंधान केंद्र के तकनीकी आंकड़ों के अनुसार 960 मिमी बारिश फसलों के लिए पर्याप्त बारिश मानी जाती है।

इस साल सोयाबीन बोने वाले किसान भी खुश
पिछले दो साल से किसानों को रुला रखी सोयाबीन की इस बार की फसल ने किसानेां केचेहरों पर प्रसन्नता ला दी है। जिले में हालांकि इसका रकबा इस बार बेहद कम हो गया है और सिर्फ 33 हजार हेक्टेयर में इसके बीज किसानों ने बोए लेकिन खरीफ के इस मौसम में यह फसल बिना किसी रोग के फली फूली और अब तो दाने भी पकने की स्थिति में आ रहे हैं। महंगे मोल की इस फसल के दाम भी किसानों को अच्छे मिलते हैं।

इस बार वैज्ञानिक भी मान रहे हैं कि सोयाबीन की फसल अच्छी होगी और किसानों को उसके दाम भी मिलेंगे। इधर ढाई लाख हेक्टेयर के रिकार्ड रकबे तक पहुंची मक्का के भुट्टे भी अच्छे आएंगे। इस बार तो पठारी क्षेत्रों में भी मक्का का अच्छा उत्पादन होने की बात कही जा रही है।

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