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नौकरी की चाह छोड़ शुरु की आधुनिक खेती, मुनाफा देख गांव के युवा हुए प्रेरित

locationछिंदवाड़ाPublished: Mar 30, 2021 08:38:16 am

Submitted by:

Hitendra Sharma

– आधुनिक तरीके से खेती को बताया नौकरी से बेहतर- पहली बार बोया काला गेहूं, खेत में खड़ी फसल को बेचा – युवा किसान दुर्गेश लिंगायत ने युवाओं का बदला नजरिया- रासायनिक खाद का नहीं करते प्रयोग- नकदी फसल उगाकर कमाया ज्यादा मुनाफा

chhindwara farmer

छिंदवाड़ा. खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात अब देश प्रदेश में हो रही है पर जब तक नई पीढ़ी के किसान इसे अपना नहीं लेते तब तक यह सिर्फ भाषण तक सीमित है। मध्य प्रदेश के कुछ युवा किसान अब नये प्रयोग कर खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं और आसपास के गांव के युवाओं के लिये भी प्रेरणा बन गये हैं। जिले के युवा किसान दुर्गेश लिंगायत ने खेती को अलग तरीके से करके युवाओं का नजरिया बदल दिया है।

समय के साथ नवाचार करने से सफलता जरूर मिलती है। चाहे वह खेती-बाड़ी ही क्यों न हो। 12वीं तक पढ़े सोनाखार गांव के युवा किसान दुर्गेश लिंगायत आधुनिक तरीके से खेती कर अच्छा -खासा कमा रहे हैं और दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं। उनका मानना है कि नौकरी के लिए मारे-मारे फिरने की बजाय खेती करना लाभ का सौदा है। जरूरत नजरिया बदलने और मेहनत करने की है।

नकदी फसल पर जोर
दुर्गेश का मानना है कि परम्परागत खेती में अच्छी बातों को अपनाया जाना चाहिए, लेकिन जो समय के अनुरूप नहीं हैं, उन्हें छोड़ देने में ही भलाई है। हमारे पूर्वज तो गेहूं व मक्का ही लगाते थे , लेकिन अब ये जरूरी नहीं। खेती ऐसी हो कि लोग फसल खरीदने खुद चल कर आएं। दाम हाथों हाथ मिले। इसके लिए बाजार और लोगों की जरूरतों को समझना होगा। यही वजह है कि अभी उन्होंने लहसुन और टमाटर की फसल लगाई है। इनके भाव भी अच्छे मिल रहे हैं। यदि वे पूरे खेत में सिर्फ गेहूं ही लगाते तो उतना लाभ नहीं होता और बेचने में समस्या आती।

टमाटर और लहसुन से भी मुनाफाउन्होंने बताया कि दो एकड़ में टमाटर की बोवनी व एक एकड़ में लहसुन की बोवनी की है। फसल का सही दाम मिलने से अच्छा मुनाफा हो रहा है। सब्जी की रोज मांग है। हाथों हाथ पैसे मिलते हैं। इसलिए अन्य फसलों के साथ सब्जी की खेती भी करते हैं। खेती में आधुनिक तरीका भी अपना रहे हैं। पानी की बचत के लिए ड्रिप सिस्टम से सिंचाई करते हैं।

पहली बार बोया काला गेहूं
आधुनिक पद्धति से खेती कर रहे दुर्गेश ने बताया कि इस बार उन्होंने काला गेहूं भी बोया है। एक एकड़ में काले गेहूं की बोवनी की है। 15 से 20 क्विंटल तक उपज होने की उम्मीद है। आसपास के किसानों ने काले गेहूं के बीज के लिए पहले से ही संपर्क कर लिया है। खरीदार खुद खेत पर आ कर अग्रिम बुकिंग करा रहे है। जबकि परम्परागत गेहूं की फसल को उन्हें बेचने जाने पड़ता।

आधुनिक पद्धति से अच्छा मुनाफा सम्भव
दुर्गेश ने बताया कि पहले वे पुरानी पद्धति से खेती करते थे। साल में केवल मक्का और गेहूं की फसल ले पाते। इन फसलों से उतना फायदा नहीं होता था। इसलिए आधुनिक पद्धति से खेती करने का लक्ष्य चुना और दो -तीन साल में ही अच्छा मुनाफा होने लगा।

गोबर खाद का प्रयोग
उन्होंने बताया कि रासायनिक खादों से जमीन की उर्वरक क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए वे हर साल अपने खेतों में गोबर खाद डलवाते हैं। इससे जमीन की उर्वरक शक्ति तो अच्छी रहती ही है साथ ही उपज भी अच्छी मिलती है ।

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