
Minister Rakesh singh got angry on Indore-Nemawar Road Project
छिंदवाड़ा. पीडब्ल्यूडी मंत्री के साथ जिले के प्रभारी राकेश सिंह को छिंदवाड़ा रास नहीं आ रहा है। पहली बार 20 नवम्बर को छिंदवाड़ा में कदम रखने के बाद उन्होंने दोबारा यहां आना मुनासिब नहीं समझा है। गणतंत्र दिवस के बाद दूसरी बार उनका दौरा निरस्त हुआ है। सत्तारूढ़ दल की गुटीय राजनीति हो या फिर स्वैच्छिक अरूचि के चलते प्रभारी मंत्री ने विकास कार्यो में रुचि नहीं ली है। उनके बारे में कहा जा रहा है कि कोई और दूसरा प्रभारी मंत्री होता तो छह माह में जनप्रतिनिधियों और नेताओं के बीच गुटीय संतुलन बनाता, अफसरों की क्लास लेता और आम जनता को नए व पुराने प्रोजेक्ट में प्रगति भी दिखाता। दुर्भाग्य है कि अब तक ऐसा कुछ नहीं हो पाया है।
पिछले लोकसभा चुनाव में सांसद बंटी साहू के निर्वाचित होने के बाद प्रदेश सरकार के किसी मंत्री ने छिंदवाड़ा के विकास में रुचि नहीं दिखाई है। केवल अमरवाड़ा चुनाव की गतिविधियां में प्रचार-प्रसार करने आए। इससे पहले मुख्यमंत्री हो या फिर किसी न किसी मंत्री का आगमन होता रहा है। इसके अलावा विकास की कोई बड़ी सौगात भी दिखाई नहीं दी है। उसमें अब प्रभारी मंत्री राकेश सिंह की उपेक्षा आम आदमी को अखर रही है। देखा जाए तो 20 नवम्बर को छिंदवाड़ा आने के बाद प्रभारी मंत्री का गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम बना। फिर अभी 18 फरवरी को जिला योजना समिति की बैठक लेनेे आनेवाले थे। ये दोनों कार्यक्रम भी निरस्त हो गए। इससे साफ तौर पर प्रभारी मंत्री की उपेक्षापूर्ण मंशा दिखाई पड़ रही है।
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दुर्भाग्य…गठन के बाद नहीं हुई जियोस की बैठक
देखा जाए तो जिला योजना समिति का गठन दिसम्बर 2022 में किया गया था। इसके लिए 20 सदस्यों के चुनाव हुए थे। उस समय कांग्रेस के सदस्यों का दबदबा था। इस राजनीतिक वजह से आज तक योजना समिति की बैठक नहीं हो सकी। लोकसभा चुनाव के वक्त महापौर समेत अन्य कांग्रेस पार्षदों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। फिर भी प्रभारी मंत्री राकेश सिंह को ये रास नहीं आया। इस समिति की पिछली बैठक वर्ष 2019 में तत्कालीन प्रभारी मंत्री सुखदेव पांसे ने ली थी। उसके बाद किसी प्रभारी मंत्री ने बैठक लेने की हिम्मत नहीं की।
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प्रभारी मंत्री की रुचि होती तो बन जाता सांख का पुल
आम जनमानस मान रहा है कि प्रभारी मंत्री राकेश सिंह की रुचि छिंदवाड़ा के विकास में होती तो पेंच नदी में पांच साल पहले आई बाढ़ में टूटे चौरई विकासखण्ड के सांख-हलालखुर्द-साजपानी मार्ग का पुल दोबारा बन जाता। छिंदवाड़ा की सडक़ें चमचमाती नजर आती। दूसरे विकास के प्रोजेक्ट भी कुलांचे लेकर दौड़ पड़ते। ये सब होता तो प्रभारी मंत्री की प्रशंसा होती। आखिर उनकी मंशा समझ में नहीं आ रही है।
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कमलनाथ सरकार गिरने के बाद छिंदवाड़ा के दुर्दिन
वर्ष 2020 के 20 मार्च को कमलनाथ सरकार गिरने के बाद छिंदवाड़ा के दुर्दिन शुरू हो गए थे। इसके बाद विश्वविद्यालय, कृषि कॉलेज, जेल कॉम्प्लेक्स जैसे प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चले गए। शिवराज सरकार के कार्यकाल में बजट कटौती हो गई और टेंडर तक निरस्त हो गए। ये सब सत्तारूढ़ दल के विधायकों के न होने का परिणाम रहा। अब जबकि लोकसभा सांसद बंटी साहू और अमरवाड़ा विधायक कमलेश शाह भाजपा से निर्वाचित हुए, तब सरकार को तेजी से काम आगे बढ़ाने चाहिए थे, यह भी दिखाई नहीं दे रहा है।
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Published on:
19 Feb 2025 12:32 pm
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