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छिंदवाड़ा

खेतों में सडऩे के लिए छोड़ दिए टमाटर

टमाटर के गिरे भाव ने किसानों को संकट में डाल दिया है। एक कैरेट टमाटर को 50 रुपए दाम भी नसीब नहीं हो रहे है। ऐसे में किसानों को खेत से टमाटर तोडऩा भी महंगा साबित हो रहा है।

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छिंदवाड़ा/पांढुर्ना. टमाटर के गिरे भाव ने किसानों को संकट में डाल दिया है। एक कैरेट टमाटर को 50 रुपए दाम भी नसीब नहीं हो रहे है। ऐसे में किसानों को खेत से टमाटर तोडऩा भी महंगा साबित हो रहा है। उन्होंने खेतों में टमाटर सडऩे को छोड़ दिया है। इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।
कई किसानों ने एक से डेढ़ एकड़ में टमाटर की फसल लगाई है। बड़चिचोली के किसान गंगाधर सवई ने एक एकड़ में लगाई टमाटर की फसल को सडऩे के लिए छोड़ दिया है। किसान ने बताया कि बीज, दवा और रख-रखाव में ही तीस हजार रुपए तक खर्च हुआ है। वहीं किसान राजेश गाखरे ने बताया कि फसल पर स्प्रे करने में ही 3-4 हजार रुपए खर्च हो गए है मजदूरी लगाकर तोडऩे पर भी लागत नहीं निकल रही है। विशाल रबड़े का कहना है कि एक कैरेट में 15-20 किग्रा टमाटर आते है। जिसका डेढ़ रुपए किलो भी दाम नहीं मिल रहा है। शुक्रवार को पांढुर्ना साप्ताहिक बाजार में टमाटर पांच रुपए में दो किलो तक बिका।