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Murder: हत्या के दोषी दो सगे भाइयों को आजीवन कारावास की सुनाई सजा

हत्या के दोषी दो सगे भाई सौरभ राजपूत (20) एवं गौरव राजपूत (19) निवासी परासिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

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बीसलपुर विस्थापितों की आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण करने वालों की अब खैर नहीं...

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छिंदवाड़ा. हत्या के दोषी दो सगे भाई सौरभ राजपूत (20) एवं गौरव राजपूत (19) निवासी परासिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 25-25 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है। प्रकरण में दोषियों के पिता शैलेन्द्र राजपूत को आपराधिक षड्यंत्र में शामिल ना पाते हुए दोषमुक्त किया है। फैसला न्यायालय कुमुदनी पटेल चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश छिंदवाड़ा ने सुनाया।

प्रार्थी रामकिशन यदुवंशी निवासी वार्ड क्रमांक 2 रिंग टॉकीज के पास परासिया ने 30 जनवरी 2019 को परासिया पुलिस थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि उसका बेटा राजेन्द्र सूर्यवंशी प्रॉपर्टी का व्यवसाय करता है। 29 जनवरी 2019 को वह खाना खाने के बाद दोपहर 1 बजे अपनी बाइक लेकर घर से निकला था। रात 11 बजे तक वह घर नहीं लौटा। रामकिशन को उसके भाई कामता ने घर पहुंचकर बताया कि राजेन्द्र अस्पताल में है। परिवार के सदस्य पहुंचे तो देखा कि उसकी मौत हो चुकी है। शरीर पर धारदार हथियार से हमला करने के निशान थे। कामता ने अस्पताल में बताया कि सौरभ और गौरव ने हथियार एवं डण्डों से मारपीट की है जिसमें मौत हुई है। वारदात के 3 माह पूर्व सौरभ ढाबा वाले शैलेन्द्र और उसके नौकर अमित सिंह के साथ मृतक राजेन्द्र का विवाद हुआ था। इसकी रिपोर्ट उसने परासिया पुलिस थाना में दर्ज कराई थी जिसके बाद से सौरभ और गौरव रंजिश रखे हुए थे। पुलिस ने 30 जनवरी को हत्या के दोषी दोनों भाइयों को गिरफ्तार किया। इस प्रकरण को 31 जनवरी को जघन्य सनसनीखेज मामलों में शामिल किया था। विवेचना पूरी कर पुलिस ने अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। न्यायालय ने बचाव एवं अभियोजन के तर्कों को सुनने के बाद दोनों भाइयों को दोषी ठहराया। प्रकरण में शासन की ओर से समीर कुमार पाठक जिला अभियोजन अधिकारी ने पैरवी की।

न्यायालय ने की युवा पीढ़ी पर टिप्पणी
न्यायालय कुमुदनी पटेल चतुर्थ अपर जिला व सत्र न्यायाधीश ने इस प्रकरण में युवा पीढ़ी के शामिल होने और वर्तमान परिदृश्य को लेकर सख्त टिप्पणी की है। उन्होंने कहा युवा पीढ़ी भविष्य के नियामक होते हैं। युवा पीढ़ी की ओर से किए जाने वाले बढ़ते अपराध को दृष्टिगत रखते हुए अपने निर्णय में युवा वर्गों की समाज में भूमिका एवं शैक्षणिक संस्था की भूमिका पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा आज समाज में जिस गति से हिंसा व अन्य अपराधों के उदाहरण सामने आ रहे हैं वे चेतनावान व्यक्तियों को बाध्य करते हैं। उनके कारणों और निराकरण के उपयों पर चिंतन करें और उन्हें क्रियान्वित करने के सतत व सजग प्रयास आरंभ करें